बिलासपुर: निकायों में मेयर और अध्यक्ष से लेकर पार्षद प्रत्याशी के चयन के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने मापदंड तय कर दिया है। प्रत्याशी चयन के लिए दोनों पार्टियों में पूरी प्रक्रिया तय कर दी गई है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने टिकट वितरण का जो पैटर्न अपनाया था, ठीक उसी अंदाज में नगरीय निकायों के लिए अपनाई जा रही है। मेयर की टिकट के लिए तो इसी पैटर्न पर काम किया जा रहा है। टिकट से पहले सर्वे और इंटरनल रिपोर्ट। इन दो बातों और इन्हीं दो रिपोर्ट के आधार पर टिकटें फाइनल होंगी। मापदंड विनिंग केंडिडेंट ही है।
इस मापदंड पर कौन कितना खरा उतर पाएगा यह तो आने वाला समय बताएगा। बहरहाल सत्ताधारी दल भाजपा में आधा दर्जन ऐसे दावेदार हैं जो गंभीरता के साथ अपनी दावेदारी कर रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति कांग्रेस में भी नजर आ रही है। पूर्व मेयर से लेकर कांग्रेस सरकार के दौरान सत्ता के गलियारे में अहम भूमिका निभाने वाले चेहरे भी मेयर पद के लिए सामने आ रहे हैं।
सत्ताधारी दल में टिकट वितरण में किसकी चलेगी, कौन किस पर भारी पड़ेंगे। शीर्ष नेतृत्व किस नेता की बातों पर भरोसा जताएगा। जैसे सवाल भी सत्ता के गलियारे में जोर-शोर से गूंज रहा है। दावेदार से लेकर शहरी नेताओं और संगठन के पदाधिकारियों के बीच भी इस तरह की चर्चा तकरीबन रोज ही हो रही है। नई सरकार में जिले में सत्ता के केंद्र में जिस तरह बदलाव नजर आया, या यूं कहें कि जिले की राजनीति में नए क्षत्रपों का उदय हुआ उसके बाद से असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
ओबीसी राजनीति के तीन बड़े चेहरे जिले में हैं। पूर्व स्पीकर व बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, डिप्टी सीएम अरुण साव व केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू। जिले की राजनीति में सत्ताधारी दल की ओर से ओबीसी राजनीति के ये तीन बड़े चेहरे हैं। तिकड़ी के बीच पदाधिकारी से लेकर टिकट की संभावनाएं तलाशने वालों को भी यह नहीं पता कि किसके दरबार में जाने और मत्था टेकने से टिकट की गारंटी मिलेगी। ओबीसी राजनीति के तिकड़ी के बीच एक और बड़ा सियासी एंगिल,शहर विधानसभा के विधायक व कद्दावर नेता अमर अग्रवाल हैं।
मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले दो नाम में उनका नाम प्रमुखता के साथ लिया जा रहा है। सियासत के साथ ही ब्यूरोक्रेट्स के बीच अमर के नाम को लेकर गंभीर चर्चा है। ऐसे में उनका सियासी प्रभाव और शहर विधानसभा क्षेत्र के विधायक होने के नाते निगम चुनाव में उनकी दखलंदाजी कहें या फिर भीतर प्रभाव, दोनों ही इफैक्ट से इंकार नहीं किया जा सकता। महापौर से लेकर पार्षदों की टिकट में उनकी हां और ना के खास सियासी मायने हैं। लोकसभा चुनाव में शीर्ष नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताते हुए क्लस्टर प्रभावी की जिम्मेदारी सौंपी थी। चुनाव परिणाम सबके सामने है। जाहिरतौर पर यह भी राजनीतिक रूप से जगजाहिर है कि नगरीय निकाय चुनाव में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। प्रदेश भाजपा ने घोषणा पत्र समिति के प्रदेश संयोजक की जिम्मेदारी देकर अपनी मंशा को साफ कर दिया है और सियासी रूप से इशारा भी कर दिया है। सियासत में इसी तरह की जिम्मेदारी से शीर्ष से लेकर प्रदेश नेतृत्व कार्यकर्ताओं से लेकर प्रदेशवासियों और ब्यूरोक्रेट्स के बीच अपना संदेश देते हैं।
ये हैं मेयर के भाजपाई दावेदार
श्याम साहू, रामदेव कुमावत, सोमनाथ यादव,रमेश जायसवाल, विजय ताम्रकार, कमल सोनी, जयश्री चौकसे, पूजा विधानी,बबलू कश्यप।
कांग्रेस में इनकी गंभीर दावेदारी
प्रमोद नायक, विनोद साहू,त्रिलोक श्रीवास,श्याम कश्यप, लक्की यादव,रामशरण यादव, अमित यादव,भरत कश्यप।