संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ पर्व 13 जनवरी से शुरू हो चुका है. इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहां पवित्र डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. महाकुंभ में पवित्र नदी में स्नान करने का अलग महत्व होता है, संगम में डुबकी लगाने से व्यक्ति के समस्त पाप दूर हो जाते हैं. वहीं माना जाता है कि अगर कोई श्रृद्धालु स्नान के साथ ही पंचकोसी परिक्रमा करते हैं, तो ये आपकी आत्मा को शुद्ध करता है और अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है.
जानिए पंचकोसी परिक्रमा क्या है?
पंचकोसी परिक्रमा प्रयागराज तीर्थ के चारों ओर की यात्रा है, जो 20 कोस (लगभग 60 किमी) में फैली हुई है. इसमें तीन प्रमुख वेदियां अंतर्वेदी, मध्यवेदी, और बहिर्वेदी शामिल हैं. ये क्षेत्र संगम, गंगा-यमुना के पवित्र घाटों, तीर्थ स्थलों, कुंभ क्षेत्र और आश्रमों से घिरा हुआ है.
पंचकोसी परिक्रमा से मिलते हैं ये लाभ
पंचकोसी परिक्रमा करने से भक्तों को आध्यात्मिक लाभ मिलता है. ये पांच विकारों काम, क्रोध, मोह, मद और लोभ से मुक्ति दिलाती है. इसे करने से सभी तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
महाकुंभ में पंचकोसी परिक्रमा क्यों जरूरी है?
महाकुंभ का 2025 का आयोजन बेहद खास है, क्योंकि ऐसा संयोग 144 साल बाद आया है. महाकुंभ में डुबकी लगाने के साथ पंचकोसी परिक्रमा करने से न केवल आपको शुभ फल मिलते हैं, बल्कि आपके परिवार और पितरों को भी इसका लाभ मिलता है. इस परिक्रमा के परिणाम जीवनभर दिखाई देते हैं. मान्यता है कि इसे करने से जीवन के अंत समय में सद्गति प्राप्त होती है. इसलिए महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को यह परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए.
साधु-संतों भी करते हैं परिक्रमा
पंचकोसी परिक्रमा साधु-संतों के लिए भी बहुत खास होती है. इस महाकुंभ में नागा साधु और अखाड़ों के संत भी पंचकोसी परिक्रमा करेंगे. इस यात्रा के दौरान कई पवित्र स्थलों के दर्शन होते हैं, जहां
आध्यात्मिक ऊर्जा का वास है
यह परिक्रमा साधु-संतों और भक्तों के ज्ञान, विवेक और आत्मिक बल को बढ़ाने का साधन है। इसलिए महाकुंभ में डुबकी के साथ पंचकोसी परिक्रमा जरूर करें और इसका आध्यात्मिक लाभ उठाएं.