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7 साल की बच्‍ची को चिप्‍स देने के बहाने घर बुला कर किया हैवानियत, साथ देने वाले पिता को उम्रकैद

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नई दिल्‍ली. महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध और हैवानियत को लेकर देश में काफी सख्‍त कानूनी प्रावधान किए गए हैं. नाबालिगों के साथ अत्‍याचार को लेकर तो कानून और भी सख्‍त हैं. ऐसे ही एक मामले में दिल्‍ली की एक अदालत ने दोषी शख्‍स को सजा-ए-मौत की सजा दी है. वहीं, इस वीभत्‍स कांड में बेटे का साथ देने में कनविक्‍टेड दोषी के पिता को आजीवन कारावास की सजा दी गई है. हाल फिलहाल के दिनों में शायद यह पहला मामला है, जब एक 7 साल की बच्‍ची से रेप करने और उसकी हत्‍या के मामले में दोषी करार शख्‍स को मौत की सजा दी गई है. बता दें कि यह मामला साल 2019 का है.

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने एक 7 साल की नाबालिग बच्‍ची की रेप के बाद हत्‍या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस जघन्‍य कांड में दोषी ठहराए गए अभियुक्त राजेंद्र उर्फ सतीश को फांसी की सजा सुनाई है. इसके साथ ही इस कांड में बेटे की मदद करने के जुर्म में उसके पिता राम शरण को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. राजेंद्र को आईपीसी की दो धाराओं के तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है. कई धाराओं के तहत उस पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. तीस हजारी कोर्ट की एडिशनल सेशंस जज बबीता पुनिया ने 24 फरवरी के पिता-पुत्र को इस मामले में दोषी ठहराया था. शुक्रवार 28 फरवरी 2025 को कोर्ट ने सजा का ऐलान किया.

2019 का है मामला
जानकारी के मुताबिक, नाबालिग बच्‍ची 9 फरवरी 2019 को गायब हो गई थी. बाद में उसका शव दो दिन बाद एक पार्क में मिला था. उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे. तीस हजारी कोर्ट ने राजेंद्र को दोषी ठहराते हुए कहा था कि परिस्थितियां और दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सबूत से निष्कर्ष निकलता है कि 27 साल के राजेंद्र ने अपनी हवस पूरी करने के लिए बच्‍ची का अपहरण किया और उसका यौन उत्पीड़न किया था. कोर्ट ने इस मामले में दोषी पाया था और अब जाकर सजा का ऐलान किया.

आदतन वहशी
नाबालिग बच्‍ची से रेप के मामले में फांसी की सजा पाने वाला सतीश इस वारदात से पहले भी एक नबालिग लड़की के साथ रेप किया था. उस मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद उसने दूसरे नबालिग लड़की का अपना शिकार बनाकर उसकी हत्या कर दी थी. मामले में जांच कर रही दिल्ली पुलिस उस सब का उदाहरण देते हुए कोर्ट से उसे फांसी की सजा देने की मांग की थी. मामले की सुनवाई करने वालीं जज ने इस मामले में उसके पिता राम शरण को आजीवन एवं 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए अपने फैसले में कहा कि अगर उसने अपने बेटे को पहली वारदात के दौरान ही डांटा होता और उसे गलत और सही के बारे में बताया दिया होता तो वह दूसरा वारदात नहीं करता.

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