
कोरिया। सोनहत : जनपद सोनहत में कमीशन खोरी के आरोपों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में एक और मामला सामने आया है, जिसमें जनपद सीईओ पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पिछले चार महीनों से एक फाइल उनके टेबल पर लटकी हुई है, जिसके चलते एक निर्माण फर्म के संचालक को आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मामला क्या है?
उषा फ्लाई एस एवं बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर फर्म के संचालक ने आरोप लगाया है कि उन्होंने मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत सलगवाकला में आरसीसी पुलिया निर्माण के लिए मटेरियल सप्लाई किया था। हालांकि, वर्ष 2022-23 के इस निर्माण कार्य की फाइल, जिसमें सभी आवश्यक दस्तावेज शामिल हैं, पिछले चार महीनों से जनपद सीईओ के टेबल पर अटकी हुई है। इस बीच, अन्य मटेरियल सप्लायरों को भुगतान किया जा चुका है, जिससे संचालक की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है।
संचालक ने इस मामले की शिकायत जिला पंचायत सीईओ से भी की है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जनपद सीईओ द्वारा कमीशन की मांग की जा रही है, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई है।
अन्य मामले
सोनहत में कमीशन खोरी के आरोपों की यह पहली घटना नहीं है। हाल के दिनों में कई अन्य मामले भी सामने आए हैं:
1. *स्वास्थ्य विभाग के बीडीएम* पर प्रोत्साहन राशि की अवैध वसूली का आरोप लगा है, जिसका ऑडियो भी सामने आया है। इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
2. *उप सरपंच* ने भी जनपद सीईओ पर कमीशन मांगने का आरोप लगाया है, जिससे स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
3. *रोजगार सहायक* पर भी आरोप है कि उन्होंने पीएम आवास योजना के तहत बने आवास की दूसरी किस्त के लिए हितग्राहियों से पैसे की मांग की है।
इन घटनाओं ने सोनहत को कमीशन खोरी का गढ़ बना दिया है, जिससे स्थानीय विकास कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
सोनहत में कमीशन खोरी के बढ़ते मामलों ने स्थानीय प्रशासन की छवि को दागदार बना दिया है। यह आवश्यक है कि सरकार इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करे और जांच की प्रक्रिया को तेज करे। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। विष्णु देव साय सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि सोनहत क्षेत्र में विकास कार्यों को सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सके।