
27 मार्च 2025:- अप्रैल माह की शुरुआत होने वाली है. इस माह में की शुरुआत मां दुर्गा के पवित्र नवरात्रों से होगी. वहीं अप्रैल में चैत्र शुक्ल पक्ष और वैशाख कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रदोष व्रत रखा जाएगा. भगवान शिव को समर्पित इस व्रत का वर्णन शिव पुराण में मिलता है. इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत का पालन करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और भोलेनाथ का सदैव आशीर्वाद बना रहता है, तो आइए जानते हैं कि अप्रैल माह में प्रदोष व्रत कब-कब रखा जाएगा.
अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत कब है:- अप्रैल माह का पहला प्रदोष व्रत यानी चैत्र माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 अप्रैल को रात 10 बजकर 55 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन 11 अप्रैल को रात 10 बजे होगा. त्रयोदशी तिथि के दिन पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. ऐसे में पहला प्रदोष व्रत 10 अप्रैल को रखा जाएगा.
चैत्र प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त:- चैत्र माह शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 44 मिनट से लेकर 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. भक्त इस दौरान विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं.
अप्रैल माह का दूसरा प्रदोष व्रत कब हैं:- हिंदू पंचांग के अनुसार, अप्रैल माह का दूसरा प्रदोष व्रत यानी वैशाख माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 25 अप्रैल को रात्रि 11 बजकर 44 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन 26 अप्रैल को रात्रि 8 बजकर 27 मिनट पर होगा. ऐसे में प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को रखा जाएगा.
वैशाख प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त:- पंचांग के अनुसार, वैशाख माह कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 25 अप्रैल को शाम 6 बजकर 53 मिनट से लेकर 9 बजकर 3 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत पूजा विधि:- प्रदोष व्रत के दिन पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. फिर साफ कपड़े पहनने चाहिए. फिर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करनी चाहिए. पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. फिर एक बर्तन में शिवलिंग रखना चाहिए. शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए. शिवलिंग पर बेलपत्र, गुड़हल, आक और मदार के फूल अर्पित करने चाहिए. भगवान को चावल और मखाने की खीर का भोग लगाना चाहिए. भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए. शिव पुराण और शिव तांडव स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए. प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करना चाहिए. शाम के प्रदोष काल में स्नान के बाद शिव परिवार की पूजा अवश्य करनी चाहिए. आरती के साथ पूजा का समापन करना चाहिए. प्रदोष व्रत पर पूरा दिन उपवास करना चाहिए. व्रत में सात्विक भोजन करना चाहिए.