
जबलपुर. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए उकसावे की परिभाषा को स्पष्ट किया. जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल और जस्टिस प्रशांत गुप्ता ने अपने निर्णय में कहा कि भले ही कोई महिला स्वयं बलात्कार के लिए आरोपी नहीं हो सकती, लेकिन वह आईपीसी की धारा 109 के तहत बलात्कार के लिए उकसाने का अपराध जरूर कर सकती है.
इसलिए रेप के लिए उकसाने वाली आरोपी महिला के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया. पूरा मामला भोपाल के छोला मंदिर इलाके का है. पीड़िता ने ने 21 अगस्त 2022 को छोला मंदिर थाने में रेप की शिकायत दर्ज कराई थी. अपनी शिकायत में पीड़िता ने बताया था कि पड़ोसी ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा था. जब वह शादी के लिए सहमति देने पड़ोसी के घर गई तो आरोपी की मां और उसके भाई ने जबरदस्ती उसे आरोपी के कमरे में भेज दिया. बाहर से दरवाजा बंद कर दिया. कमरे ने आरोपी ने उसके साथ संबंध बनाए. सगाई के बाद आरोपी ने कई बार संबंध बनाए और फिर शादी से मुकर गया.
पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया था, ‘8 जुलाई 2021 को आरोपी अभिषेक गुप्ता ने पहली बार अपने घर पर उसका रेप किया. सगाई होने के बाद भी कई बार संबंध बनाए और बाद में शादी से मुकर गया. उसकी मां ने कहा था कि शादी से पहले संबंध बनाना आम है.’
पीड़िता की शिकायत पर आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 376 (2) (एन) , 190, 506 और 34 के तहत पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी. भोपाल की निचली अदालत मुख्य आरोपी को दोषी माना. आरोपी की मां और भाई को भी सह-अभियुक्त बनाया था.
सरकारी वकील सीएम तिवारी ने मामले की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आरोपी ने 22 अगस्त 2023 को भोपाल सेशन कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. अब इस फैसला आया है.
हाईकोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 376 ‘एक पुरुष’ से शुरू होती है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि बलात्कार का अपराध केवल पुरुष द्वारा किया जा सकता है लेकिन धारा 109 के तहत महिला को उकसावे के लिए दोषी ठहराई जा सकता है. हाईकोर्ट ने कहा कि ‘जानबूझकर अपराध में सहायता करना धारा 107 IPC की तीसरी परिभाषा में आता है. अतः महिला और पुरुष दोनों बलात्कार के लिए उकसावे के दोषी हो सकते हैं.