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राजीव गांधी की हत्या के तर्ज पर PM मोदी पर भी हमले की थी योजना, नक्सली प्रशांत बोस ने किया खुलासा

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रांची : झारखंड के पुलिस अफसरों ने भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य और इआरबी के सचिव प्रशांत बोस उर्फ किशन दा से झारखंड में नक्सलियों के कमजोर होने के बारे में जानकारी ली है.

प्रशांत बोस ने पुलिस अफसरों के पूछे गये कई सवालों का जवाब दिया है. इनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की योजना को लेकर जानकारी हासिल की गयी है. जिसमें बताया गया कि राजीव गांधी की हत्या की तर्ज पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ घटना को अंजाम देने की थी योजना.

नक्सली कैडर कमजोर होने के कारण 10 से 20 प्रतिशत ही होती है मदद

प्रशांत बोस ने संगठन के कमजोर होने को लेकर बताया कि नक्सली कैडर के परिवार की देखभाल करना पार्टी की पॉलिसी में है. पहले यह काम 70-80 प्रतिशत किया जाता था. लकिेन वर्तमान में पार्टी के कमजोर होने के कारण अभी सिर्फ 10 से 20 प्रतिशत ही मदद की जाती है. इसलिए इसे भी पार्टी की कमजोरी के रूप में चिह्नित किया गया है.

भाकपा माओवादियों का नहीं होगा उग्रवादी संगठन में विलय

प्रशांत बोस ने यह भी बताया है कि उग्रवादी संगठन जेजेएमपी, टीपीसी और पीएलएफआई से भविष्य में भाकपा माओवादियों के नक्सलियों का विलय संभव नहीं है, क्योंकि उक्त तीनों संगठन में अब माओवादी का कैडर सदस्य नहीं है.

भीमाकोरेगांव आंदोलन में उनकी और पार्टी की संलिप्तता के बारे में ली जानकारी

पुलिस ने प्रशांत बोस से भीमा कोरेगांव आंदोलन में उनकी और पार्टी की संलिप्तता के संबंध में भी जानकारी हासिल की है. इसमें यह बताया गया कि भीमा कोरेगांव के एक आरोपी के लैपटॉप से यह जानकारी मिली थी कि वर्ष 2017 में राजीव गांधी की हत्या की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी घटना को अंजाम देने की योजना है. लेकिन प्रशांत बोस ने भीमा कोरेगांव आंदोलन के बारे में किसी प्रकार की जानकारी होने की बात से इनकार किया है. उन्होंने आगे बताया कि हो सकता है कि सीआरबी की ओर से कोई प्रयास किया गया होगा.

नक्सली संगठनों के कमजोर होने की प्रशांत बोस ने बताई ये वजह

  1. झारखंड में पार्टी सेट बैक की स्थिति में है. देश स्तर पर भी आंदोलन अभी सेट बैक में है. इसका कारण है पार्टी में भीतरघात, नक्सलियों का सरेंडर करना, लीडरशिप की कमी, तकनीकी गड़बड़ी, भ्रष्टाचार, विचारधारा का संकट, नक्सलियों का मारा जाना और गिरफ्तार होना.
  2. कोटेश्वर राव उर्फ किशन, अमित बागची और अखिलेश जैसे सीनियर नक्सलियों की गिरफ्तारी/मौत के बाद इस्टर्न रिजनल ब्यूरो ( इआरबी) सेट बैक की स्थिति में है.
  3. नक्सलियों के बेस क्षेत्र में जगह-जगह कैंप स्थापित होने के कारण फोर्स की संख्या में वृद्धि होने के कारण नक्सली बैकफुट पर चले गये हैं.
  4. हथियार और गोली की कमी के कारण पुलिस की मजबूत मुखबिरी तंत्र के अलावा केंद्र की समाधान योजना नक्सलियों के बेस एरिया में लागू होने से नक्सली संगठन बैकफुट में है.
  5. झारखंड पुलिस की सरेंडर पॉलिसी से पार्टी को चार-पांच वर्षों में अत्यधिक नुकसान हुआ है. प्रशांत बोस की नजर में यह झारखंड पुलिस की माओवादियों पर बड़ी सफलता है. सरकार की नीति और नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन से भी नक्सलियों को क्षति हुई है.
  6. प्रशांत बोस का खुद गिरफ्तार हो जाना और संगठन में बहाली नहीं के बराबर होना भी संगठन के कमजोर होने का एक प्रमुख कारण है. वर्ष 2014 से बीजेसैक में भर्ती नहीं के बराबर है.

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