Home छत्तीसगढ़ कोरिया जिले में नाबालिक बच्चों में इंजेक्शन के नशे का बढ़ता खतरा

कोरिया जिले में नाबालिक बच्चों में इंजेक्शन के नशे का बढ़ता खतरा

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कोरिया। सोनहत :  कोरिया जिले में नाबालिक बच्चों के बीच इंजेक्शन के नशे की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। दिन के समय खासकर दोपहर और शाम के वक़्त, कई बच्चे इस खतरनाक नशे के प्रभाव में देखे जा रहे हैं, जो समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। यदि इस स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो यह समस्या और अधिक गंभीर रूप धारण कर सकती है।

स्थिति का अवलोकन

स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में नाबालिक बच्चों में नशा करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। सोनहत के कई इलाकों में बच्चे सार्वजनिक स्थानों पर इंजेक्शन के नशे में घूमते हुए देखे जा रहे हैं। यह न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। लेकिन इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। परिवारों को इस समस्या के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।”

नशे के स्रोत

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे नशे के फैलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक प्रमुख कारण है अवैध दवाओं की आसान उपलब्धता। कई बार नाबालिक बच्चे खुद को तनाव से दूर करने के लिए या फिर दोस्तों के दबाव में इस नशे का सहारा लेते हैं। बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन करने की आवश्यकता है। शिक्षा और संवाद के माध्यम से ही हम इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।”

परिवारों की भूमिका

बच्चों के नशे की समस्या से निपटने में परिवारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कई परिवार इस मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे हैं या फिर अपनी आँखें मूंदे हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक संवाद की कमी और नशे की बढ़ती प्रवृत्ति की वजह से बच्चे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

आइने में भविष्य

यदि इस समस्या पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो कोरिया जिले में नाबालिक बच्चों की संख्या में इंजेक्शन के नशे की प्रवृत्ति में और वृद्धि हो सकती है। यह न केवल बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल सकता है बल्कि समाज में असुरक्षा और विकृति का कारण भी बन सकता है।

समाज के हर वर्ग को चाहिए कि वे इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान दें और नाबालिक बच्चों को सही मार्गदर्शन प्रदान करें। जागरूकता, शिक्षा, और सामूहिक प्रयास ही इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।

कोरिया जिले में नाबालिक बच्चों के बीच इंजेक्शन के नशे का संकट एक ऐसा मुद्दा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। समाज, परिवार, और प्रशासन को मिलकर इस दिशा में पहल करनी होगी। केवल तभी हम इस महामारी को रोकने में सफल हो सकेंगे और अपने बच्चों को एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य की ओर अग्रसर कर सकेंगे।

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