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कामदा एकादशी कल जानें शुभ तिथि और योग से लेकर पारण तक नियम..

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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि बहुत पावन मानी गई है. साल भर में 24 एकादशी की तिथियां पड़ती हैं. एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन और व्रत किया जाता है. चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी का व्रत रखा जाता है. कामदा एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु का पूजन करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही जीवन भर भगवान विष्णु का आर्शीवाद मिलता है. कामदा एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. यह व्रत पिशाचत्व आदि दोषों का भी नाश करता है. कल कामदा एकादशी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इसके शुभ योग से लेकर पारण नियम तक सबकुछ.

शुभ योग और पूजा शुभ मुहूर्त:- कल रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा. आश्लेषा और मघा नक्षत्र का निर्माण होगा. वणिज और बव करण का भी संयोग बनेगा. कल ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 32 मिनट पर शुरु होगा. ये मुहूर्त 5 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. वहीं अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा. ये मुहूर्त 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इन दोनों ही मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा की जा सकती है.

क्या करें क्या नही:-  कामदा एकादशी के दिन भक्ति भाव से भगवान विष्णु का व्रत करना चाहिए. ये व्रत फलाहारी और निराहार रखा जा सकता है. इस दिन भगवद्गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए. जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन दान करना चाहिए. भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन और जागरण करना चाहिए. इस दिन आचरण अच्छा रखना चाहिए. वाणी पर संयम रखना चाहिए. किसी से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए. इस दिन शरीर के किसी भी अंग को काटना नहीं चाहिए. भोजन की बर्बादी नहीं करनी चाहिए.

कामदा एकादशी व्रत का महत्व:- कामदा एकादशी के व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. जो कोई भी इस व्रत को रखता है उसके सभी दूख दूर हो जाते हैं. सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. पुण्य फल मिलते हैं. व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है.

व्रत पारण के निय:-  हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी के व्रत का पारण उपवास रखने के अगले दिन द्वादशी तिथि को किया जाता है. ऐसे में कामदा एकादशी का व्रत का पारण 9 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 2 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 34 मिनट के बीच किया जा सकता है. व्रत का पारण करने से पहले स्नान करके विष्णु जी की विधिवत की पूजा करनी चाहिए. उनको भोग लगाना चाहिए. पूजा के बाद सात्वित चीजों से व्रत का पारण करना चाहिए. पारण के बाद ब्राह्मण को दान जरूर करना चाहिए.

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