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सरकार जो नया टोल सिस्टम लागू करने जा रही है, वो कैसा होगा

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सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने फरवरी में संसद में कहा था कि सरकार 2024 चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली पर आधारित एक नई राजमार्ग टोल संग्रह प्रणाली लागू करने की योजना बना रही है. हालांकि अब इसका लागू होना मुश्किल है लेकिन चुनावों के बाद इस साल हम इसे जरूर लागू होता देख सकते हैं.

कैसा होगा ये नया टोल सिस्टम, क्या फास्टटैग खत्म हो जाएंगे. फिर कारों में कौन सा नया डिवाइस लगाना होगा. बहुत ढेर सारे सवाल हैं जो हमारे दिमाग में इसे लेकर होंगे. जानते हैं इसी को लेकर कुछ सवाल और उनके जवाब

सवाल – नया प्रस्तावित हाई-वे टोलिंग सिस्टम क्या है?
– ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का इस्तेमाल संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) सहित किसी भी उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणाली के संदर्भ में किया जाता रहा है. इसका सटीक इस्तेमाल एक सैटेलाइट से नहीं बल्कि आकाश में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट के एक बड़े समूह द्वारा किया जाता है. इस मामले में ये जीपीएस से अलग है.

सवाल – इसमें फास्ट टैग वाहनों पर लगा रहेगा या नया डिवाइस लगाना होगा?
– अगर ये सिस्टम पूरे भारत में लागू हो जाता है तो वाहनों पर फास्ट टैग लगाए रखने का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा. तब वाहनों में अंदर एक नया डिवाइस लगाया जाएगा, जिसे ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकिंग डिवाइस कहा जाता है, जो लगातार इंडियन सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम गगन GAGAN से जुड़ा होगा और ये मैप करता रहेगा कि आपका वाहन कहां जा रहा है और किन सड़कों के गुजर रहा है. ये सिस्टम आपके वाहन की पोजिशन की 10 मीटर की सटीकता के साथ काम करता है.

सवाल – ये सिस्टम कैसे लागू होगा?
– इसके लिए देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों की पूरी लंबाई की स्थितियों को डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग की मदद से लॉग इन करना होगा और हर राजमार्ग की टोल दर साफ्टवेयर के जरिए दर्ज किया जाएगा, जिससे वाहन जिस भी राजमार्ग से गुजरेगा, उसमें अपने आप वाहन में लगा डिवाइस आपके उतने पैसे काट देगा. लेकिन इस सिस्टम में बहुत कुछ और भी अभी काम किया जाना है या किया जा रहा होगा. मसलन अगर आपका वाहन आगरा से लखनऊ के एक्सप्रेस वे पर है और ये केवल इस रास्ते में केवल पहले 100 किलोमीटर तक चलकर इससे जुड़ी किसी ब्रांच सड़क की ओर चला जाएगा तो आपका डिवाइस उतना ही पैसा काटेगा, जितने रास्ते का इस्तेमाल आपके वाहन द्वारा किया जाएगा.

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