Home देश-विदेश नए और पुराने टैक्स सिस्टम की कितनी बार हो सकती है अदलाबदली

नए और पुराने टैक्स सिस्टम की कितनी बार हो सकती है अदलाबदली

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देश में इस समय 2 टैक्स सिस्टम चल रहे हैं. पहला ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime), जो सालों से चला आ रहा है. दूसरा न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime), जिसे केंद्र सरकार ने 2020 के बजट में पेश किया था. टैक्सपेयर्स को इनमें से कोई भी एक रिजीम चुनने का मौका दिया जा रहा है. हालांकि, 2023 के बजट में न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट बना दिया गया है. अब अगर आप टैक्स भरते समय ओल्ड टैक्स रिजीम का चुनाव नहीं करेंगे तो अपने आपका टैक्स न्यू टैक्स रिजीम के हिसाब से कैलकुलेट हो जाएगा. सैलरी पाने वाले और बिजनेस से जुड़े लोगों को ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में चुनाव करने का मौका फिलहाल हर साल दिया जाएगा. हालांकि, अगर आप इन दोनों में से किसी भी केटेगरी में नहीं आते तो आपको यह मौका सिर्फ एक बार ही मिलेगा.

वित्त मंत्रालय ने किया ट्वीट 

दो टैक्स रिजीम को लेकर फैल रही अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए वित्त मंत्रालय ने 31 मार्च की रात 11.59 पर एक ट्वीट भी किया. इसमें वित्त मंत्रालय ने बताया कि न्यू टैक्स रिजीम से जुड़ी गलत और भ्रामक जानकारी से बचें. टैक्सपेयर्स के लिए कोई नया बदलाव 1 अप्रैल, 2024 से नहीं लाया जा रहा है. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इनवेस्टमेंट और खर्च के दस्तावेज जमा करने की आखिरी तारीख 31 मार्च थी.

दोनों टैक्स रिजीम में क्या है अंतर 

ओल्ड टैक्स रिजीम में आपको लगभग 70 तरह के डिडक्शन और छूट मिल जाते हैं. साथ ही धारा 80C के तहत आप इनकम टैक्स में 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट का लाभ भी ले सकते हैं. न्यू टैक्स रिजीम में आपको एचआरए, एलटीए, धारा 80C समेत कई बड़ी टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है. अब यही टैक्स सिस्टम डिफॉल्ट बना दिया गया है. मगर, आप इसमें हर साल बदलाव कर सकते हैं. यहां तक कि एक साल ओल्ड, अगले साल न्यू और फिर ओल्ड टैक्स सिस्टम जैसा कोई भी बदलाव कर सकते हैं. वित्त मंत्रालय ने सैलरी पाने वाले और बिजनेस करने वालों को इस मामले में पूरी छूट दी है. यदि आप इन दोनों श्रेणी में नहीं आते हैं तो सोच समझकर चुनाव करें क्योंकि आपको दूसरा मौका नहीं मिलने वाला.

सेल्फ एम्प्लॉयड एक बार चुन पाएंगे टैक्स रिजीम 

अगर आप सेल्फ एम्प्लॉयड हैं तो पुराने टैक्स रिजीम में सिर्फ एक बार ही जा पाएंगे. ऐसे टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) के साथ फॉर्म 10 आईई (Form 10-IE) भी भरना होगा. अगर वह ऐसा करने में असफल रहे तो पुरानी टैक्स व्यवस्था का चुनाव उस साल नहीं कर पाएंगे. फॉर्म 10 आईई आपको रिटर्न भरने के पहले जमा करना होगा. यह फॉर्म भरने के बाद आपको एक 15 अंकों का एकनॉलेजमेंट नंबर दिया जाएगा. यह नंबर उन्हें आईटीआर फाइल करते समय देना होगा. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने भी दो नए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म आईटीआर 1 (SAHAJ) और आईटीआर 4 (SUGAM) को लॉन्च किया था. आईटीआर 1 फॉर्म में आपको टैक्स रिजीम चुनने का विकल्प मिला था.

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