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आखिर 12 साल बाद क्यों लगता है महाकुंभ जाने इसके पीछे की कहानी..

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उत्तर प्रदेश:- उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ की तैयारी काफी बड़े स्तर पर की जा रही है. प्रत्येक 12 साल बाद महाकुंभ लगता है जो इस साल उत्तर प्रदेश में 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक प्रयागराज में लगने जा रहा है. दुनिया के बड़े धार्मिक मेलों में से एक महाकुंभ का मेला होता है, जिसमें देश दुनिया के करोड़ों की संख्या में भक्त भाग लेने पहुंचते हैं. प्रयागराज में श्रद्धालु गंगा यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम तट पर स्नान करते हैं. कहा जाता है एक बार स्नान करने के बाद यहां पर सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है.

12 साल बाद ही क्यों होता है महाकुंभ?
महाकुंभ को लेकर पौराणिक कथा के अनुसार महाकुंभ का कनेक्शन समुद्र मंथन से है. जब देवता और असुर में अमृत प्राप्त करने को लेकर भयंकर युद्ध चल रहा था, उस दौरान अमृत कलश की प्राप्ति हुई थी. ऐसा माना जाता है कि उस दौरान अमृत कलश से कुछ बूंद पृथ्वी के चार पवित्र स्थलों पर गिरा था जिसमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक शामिल है. इसके बाद इन्हीं दिव्य स्थान में कुंभ लगता है.

शास्त्रों में भी बताया गया है कि प्रयागराज को तीर्थराज अथवा तीर्थ स्थलों का राजा कहा जाता है. ऐसी मान्यता भी है कि पहला यज्ञ ब्रह्मा जी द्वारा यहीं पर किया गया था,जिसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथो में भी देखने को मिलता है. इतना ही नहीं देवता और असुर में 12 दिनों तक अमृत को पाने के लिए भयंकर युद्ध हुआ जिसके बाद 12 दिन मनुष्य के 12 साल के समान होते हैं. यही वजह है कि हर 12 साल बाद कुंभ का आयोजन होता है.

अयोध्या के ज्योतिष ने भी बताई वजह
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वजह यह भी है कि जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में हो और उसे दौरान सूर्य देव मकर राशि में आते है.  तो कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता . ऐसे ही जब गुरु बृहस्पति कुंभ राशि में हो और उसे दौरान सूर्य देव मेष राशि में गोचर करते हैं, तब कुंभ हरिद्वार में आयोजित होता है. इसके साथ ही जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में विराजमान होते हैं, तो महाकुंभ नासिक में लगता है. जब बृहस्पति सिंह राशि में हो और सूर्य मेष राशि में हो तो कुंभ का आयोजन उज्जैन में होता है.

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