Home आस्था 25 या 26 दिसंबर, कब मनाई जाएगी 2024 की आखिरी एकादशी…

25 या 26 दिसंबर, कब मनाई जाएगी 2024 की आखिरी एकादशी…

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उज्जैन. हिंदू धर्म में साल के 24 एकादशी व्रत होते हैं. हर माह में 2 बार एकादशी व्रत होता है और हर एकादशी व्रत का बड़ा महत्व होता है. मान्यता है कि एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही, सभी मन्नतें पूरी होती हैं. लेकिन, सफला एकादशी का व्रत हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इसे पौष कृष्ण एकादशी भी कहते हैं. इस बार इसका बड़ा महत्व है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि अजा एकादशी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है.

शुभ योग्य में मनाई जाएगईं सफला एकादशी
सफला एकादशी के दिन कई शुभ योग्य का निर्माण हो रहा है. इस दिन सुकर्मा और धृति योग बन रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र में सुकर्मा और धृति को शुभ योग माना गया है. मान्यता है कि ये योग शुभ कार्यों के लिए उत्तम होते हैं. इस अवधि में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है. इसके साथ ही सफला एकादशी पर स्वाती और विशाखा नक्षत्र भी रहेंगे. ज्योतिष में इन नक्षत्रों का संयोग शुभ माना गया है.

कब है सफला एकादशी
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 दिसंबर की रात 10 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी. यह 26 दिसंबर की रात 12 बजकर 43 मिनट पर खत्म होगी. इसलिए उदया तिथि को आधार मानते हुए सफला एकादशी 26 दिसंबर को मनाई जाएगी.

व्रत से मिलेगा ये लाभ

साल भर में जितनी भी एकादशी आती है सभी का अलग-अलग धार्मिक महत्व है. इस बार जो सफला एकादशी आ रही है, इस दिन व्रत रखकर विष्णु पूजा करने से पाप मिटते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है. विष्णु कृपा से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है और कार्य में सफलता मिलती है. मृत्यु के बाद व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

कैसे रखें व्रत
– एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रत नहीं रखने वालों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
– एकादशी व्रत के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी कटवाने की भूल न करें.
– एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना गया है.
– एकादशी व्रत के दिन ब्राह्मणों को कुछ दान अवश्य करना चाहिए.

जरूर करें इस मंत्र का जाप
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।

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