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तिरुपति बालाजी में क्यों किया जाता है बालों का दान, कैसे शुरू हुई थी परंपरा?

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भारत में बहुत से प्राचीन मंदिर हैं. जिनमें से कुछ मंदिर ऐसे है जो अपने रहस्यों के चलते जाने जाते हैं. वहीं कुछ मंदिर ऐसे जो अपनी अनोखी परंपरा के चलते दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. उनमे से एक तिरुपति बाला जी मंदिर है. जहां सिर्फ देश नहीं बल्कि विदेशों मे बहुत से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. इसलिए तिरुपति बालाजी मंदिर की गिनती देश के सबसे अधिक धनवान मंदिरों में की जाती है, क्योंकि यहां श्रद्धालु हर साल अपनी श्रद्धा के अनुसार कई करोड़ का चढ़ावा चढ़ाते हैं, जिसमे रुपए,पैसे और सोने का दान किया जाता है. इसके अलावा यहां लोग अपने बाल भी दान करते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में बालों का दान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं.

किस देवता की होती है पूजा:- तिरुपति बालाजी का यह प्रसिद्ध मंदिर श्री वेंकटेश्वर स्वामी यानी भगवान विष्णु को समर्पित है. इस मंदिर में श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं. इस खूबसूरत मंदिर भारतीय वास्तु कला और शिल्प कला का उत्कृष्ट नमूना है. यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला पर्वत पर स्थित है.

क्या है कहानी:- पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक बार भगवान बालाजी की मूर्ती पर ढेरों चीटियों का एक पहाड़ बन गया था. जिस पर हर दिन एक गाय आकर दूध देकर चली जाती थी. जब गाय के मालिक को यह पता चला तो, वो नाराज हो गया और कुल्हाड़ी से गाय का वध कर दिया. इससे बालाजी के सिर चोट लग गई और उनके सिर के बाल गिर गए. इसके बाद भगवान तिरुपति बालाजी की मां नीला देवी ने अपने बाल काट दिए और बालाजी के सिर पर रख दिए. ऐसे भगवान के सिर का घाव बिल्कुल ठीक हो गया. जिसके बाद भगवान ने प्रसन्न होकर कहा कि बाल शरीर की सुंदरता को बढ़ाते हैं, लेकिन आपने मेरे लिए बालों का त्याग कर दिया. आज से जो भी मेरे लिए अपने बालों का त्याग करेगा, उनकी हर इच्छा पूरी होगी. तब से भक्त अपने बालों को तिरुपति बालाजी मंदिर में अपने बालों का दान कर रहे हैं. इस मंदिर के पास नीलादरी हिल्स है, जहां पर नीला देवी का भी मंदिर है.

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