डंडेलियन प्रकृति में पाया जाने वाला एक ऐसा औषधीय पौधा है. जिसके फूल, पत्ती और जड़ समेत सभी हिस्सों में औषधीय गुण पाए हैं. यूरोपीय देशों में डंडेलियन काफी मात्रा में होता है. इसके अलावा उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में भी यह पौधा प्राकृतिक रूप से उगता है, लेकिन इसके औषधीय गुणों के कारण उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं. इसके औषधीय गुणों के कारण बाजार में 500 रुपये प्रति किलो तक इसकी सूखी जड़ का दाम होता है. फूल और पत्तियां भी 100 रुपये किलो बाजार में आसानी से बिक जाते हैं. इस पौधे के सेवन से ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को कंट्रोल में रखा जा सकता है. डंडेलियन को सिंहपर्णी के नाम से भी जाना जाता है. सिंहपर्णी का फूल पीले रंग का होता है. इसका वैज्ञानिक नाम टारैक्सैकम ऑफिसिनेल है. इसे डेंडेलियन और लायन टूथ के नाम से भी जाना जाता है. यह पौधा अपने विशेष औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. यही कारण है कि इसकी पत्तियों, फूलों और जड़ों का उपयोग लंबे समय से पारंपरिक चिकित्सा और कई तरह के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है.
विटामिन और कैल्शियम का भंडार
इस पौधे में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है. डायबिटीज के मरीजों लिए भी सिंहपर्णी फायदेमंद हो सकता है. सिंहपर्णी में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित कर टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है.
तनाव और अनिंद्रा के इलाज में कारगर
सिंहपर्णी का पौधा तनाव और अनिंद्रा को भी ठीक करने में यह मददगार होता है. साथ ही इस पौधे में एंटीडायबिटिक प्रॉपर्टी भी होती है. इस पौधे के सेवन से डायबिटीज भी कंट्रोल में रहता है. यह ब्लड शुगर लेवल को ठीक करता है. वहीं इस पौधे का हर भाग कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल में रखता है. अगर इसका नियमित सेवन किया जाए, तो कोलेस्ट्रॉल की समस्या ठीक होने लगती है. कई बड़ी आयुर्वेदिक कंपनियां इसका प्रयोग दवाओं में करती है.