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नए साल में गूंजी किलकारी : राजधानी के अलग-अलग अस्पतलों में 130 बच्चों ने लिया जन्म 

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रायपुर : वर्ष 2024 की विदाई और 2025 का स्वागत 130 परिवारों के घर खुशियों की सौगात लेकर आया। जश्न के इस माहौल में 48 घंटे के अलर्ट पर रहे आंबेडकर अस्पताल सहित आठ स्वास्थ्य केंद्रों में 130 बच्चों का जन्म हुआ। रात के वक्त आपात स्थिति में पहुंची कई महिलाओं का जोखिम लेकर प्रसव कराया गया। इन सरकारी अस्पताल की मदद से 73 बालक और 57 बालिकाओं का जन्म हुआ। पुराने साल की विदाई और नए साल के स्वागत में मनाया गया जश्न समाप्त हो गया है, मगर जिले में रहने वाले 130 परिवारों के लिए यह समय हमेशा के लिए यादगार बन गया।

इन दो दिनों के भीतर उनके घरों में बच्चों की किलकारी गूंजी है। नए साल के स्वागत उत्सव के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों का ध्यान रखते हुए अस्पताल आने वाले मरीजों को त्वरित उपचार प्रदान करने के लिए चिकित्सकीय स्टाफ को अलर्ट मोड पर रखा था। आंबेडकर अस्पताल, जिला अस्पताल सहित ब्लाक के तमाम स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों के साथ अन्य चिकित्सकीय स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई थी। ओपीडी के बाद आपात स्थिति में इन स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंची गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित तरीके से प्रसव कराया गया, जिससे उनके परिवार को नए साल की शुरुआत में यादगार उपहार मिला।

चोटिल होकर भी पहुंचे लोग

नए साल के स्वागत का उत्सव मनाने के जोश में कुछ अप्रिय घटनाएं भी हुई। मारपीट, एक्सीडेंट सहित अन्य घटनाओं में घायल होने पर लोग इलाज के लिए आंबेडकर अस्पताल और जिला अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में पहुंचते रहे। इन मरीजों को उनकी चोट के अनुसार उपचार उपलब्ध कराया गया। दोनों अस्पतालों को मिलाकर चौबीस घंटे में करीब पचास लोग उपचार के लिए पहुंचे थे।

सबसे ज्यादा आंबेडकर अस्पताल

रायपुर जिले में सबसे ज्यादा डिलीवरी आंबेडकर अस्पताल में हुई। यहां 51 बच्चों का जन्म हुआ, जिला अस्पताल कालीबाड़ी में 18 डिलीवरी कराई गई। वहीं धरसींवा और अभनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 16-16 बच्चों का जन्म हुआ। शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और बीरगांव में 9-9 प्रसव हुआ और आरंग में 6 तथा तिल्दा में 5 प्रसव कराया गया।

अलर्ट रखा गया था

सीएमएचओ डॉ. मिथिलेश चौधरी ने बताया कि, सभी स्वास्थ्य केंद्रों को आपात स्थिति में आने वाले मरीजों को त्वरित उपचार देने के लिए ड्यूटी लगाई गई थी। हिदायत दी गई थी कि किसी भी मरीज को इलाज के लिए दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

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