शहतूत का पेड़ प्रकृति और मानव दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस पेड़ की जड़, तना, पत्तियां और फल सभी महत्वपूर्ण है. शहतूत यह पर्णपाती वृक्ष है, जो अपने मीठे और रसीले फलों और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. यह पेड़ 5 से 15 मीटर तक ऊंचा होता है, इसकी शाखाए घनी और फैलावदार होती हैं. इसकी पत्तियां चौड़ी, हरी, और दिल के आकार की होती हैं. ये पत्तियां रेशम के कीड़ों के लिए प्रमुख आहार होती हैं.
शहतूत के पेड़ पर छोटे-छोटे फूल लगते हैं, जो नर और मादा दोनों प्रकार के हो सकते हैं. इसके फल छोटे-छोटे समूहों में होते हैं, ये पकने पर सफेद, लाल, या काले रंग के हो जाते जो मीठा और रसदार होता है. आमतौर कर यह पेड़ 25-50 वर्षों तक जीवित रह सकता है. यह पेड़ कम पानी और सूखे की स्थिति में भी उग जाता है.
शहतूत की पत्तियां रेशम कीट के भोजन के रूप में उपयोग की जाती हैं, जिससे रेशम उत्पादन होता है. इसके पत्ते, छाल, और जड़ें आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के काम आते है. इसकी जड़ों का उपयोग श्वसन संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप के इलाज में किया जाता है.
वहीं पत्तों का काढ़ा डायबिटीज नियंत्रित करने में सहायक होता है. शहतूत के फल को ताजा खाया जाता है और इसे जैम, जूस, और सिरप बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. शहतूत की लकड़ी मजबूत होती है और इसे फर्नीचर बनाने और ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है.
शहतूत का पेड़ आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इसके विभिन्न भागों जैसे फल, पत्ते, छाल, और जड़ का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है. शहतूत का फल रक्त को शुद्ध करता है और खून की कमी (एनीमिया) को दूर करता है. इसके अलावा इसमें फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और कब्ज दूर करता है. इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं. शहतूत के फल का सेवन ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है.
शहतूत की पत्तियों से बना काढ़ा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है. इसके पत्तों का रस या काढ़ा कफ और सर्दी-जुकाम से राहत दिलाता है. वहीं इनका काढ़ा शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने और चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को तेज करने में मदद करता है. शहतूत की छाल का पाउडर या काढ़ा फेफड़ों को साफ करता है और अस्थमा व खांसी में उपयोगी है. छाल का लेप फोड़े-फुंसी और घाव को जल्दी भरने में मदद करता है.