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डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण में शामिल होंगे भारत के चाणक्य, अमेरिका की नई सरकार से बढ़ाएंगे दोस्ती

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वॉशिंगटन: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं. इस शपथ ग्रहण समारोह में भारत को भी आमंत्रित किया गया है. भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर अमेरिका जाएंगे. भारत की ओर से इसे लेकर एक बयान जारी किया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘ट्रंप-वैंस उद्घाटन समिति के निमंत्रण पर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस.जयशंकर अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित डोनाल्ड जे. ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.’

बयान में आगे कहा गया कि इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर नए अमेरिकी प्रशासन के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे. साथ ही, इस विशेष अवसर पर अमेरिका का दौरा कर रहे अन्य देशों से आए गणमान्य व्यक्तियों के साथ मीटिंग होगी. यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों को और अधिक मजबूत करने का अवसर देगी, बल्कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और वैश्विक विचार-विमर्श का मंच भी होगी. विदेश मंत्री जयशंकर की कूटनीति के चर्चे आए दिन होते रहते हैं। यही कारण है कि उन्हें कई बार आधुनिक युग में भारत के ‘चाणक्य’ की संज्ञा दी जाती है।

कैपिटल बिल्डिंग के सामने होगा शपथ ग्रहण
डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति के पद की शपथ लेंगे। अमेरिका के कैपिटल भवन के सामने यह शपथ ग्रहण समारोह होगा। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शपथ दिलाएंगे। शपथ के बाद ट्रंप अमेरिकी जनता को अपना पहला भाषण देंगे। इस मौके पर निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन भी शामिल होंगे और सत्ता हस्तांतरण का गवाह बनेंगे। साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को हार का सामना करना पड़ा था। तब डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडन के शपथ ग्रहण में हिस्सा नहीं लिया था।

बाइडन का आखिरी संबोधन
ट्रंप की ओर से कई अन्य वैश्विक नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। कथित तौर पर अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिली और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। वहीं अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन बुधवार रात 8 बजे राष्ट्र के नाम अपना आखिरी संबोधन देंगे। इससे पहले बाइडन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उनके चुनावों में पीछे हटने के कारण ट्रंप को चुनाव में फायदा हुआ। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं ट्रंप को हरा सकता था और मुझे लगता है कि कमला भी ट्रंप को हरा सकती थीं। पार्टी को एकजुट करना जरूरी थी। इसलिए मैंने पीछे हटने का फैसला किया।’

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