रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा लखनपुर : जिले के ब्लाक लखनपुर निवासी सुरेश प्रसाद जायसवाल “”निश्छल”” साहित्य की दुनिया में खूबसूरत सरगुजिहा कविता लिख कर अलग पहचान बनाया हैं। आपने अब तक अपने कलम से 21 पुस्तकें लिख कर कृतिमान स्थापित किया है। इनके संकलित काव्य संग्रह में प्रसून पचासा भाग-1 प्रसून पचासा भाग-2 ,विविधा निर्झरणी, निश्छल के दोहे, काव्य गंगा, काव्य मंजरी, काव्य कुंज, काव्यांजलि, प्रमुख है। बंद होंठों से, तथा भारत दर्शन इनकी आने वाली नवीन रचना होगी।
इन्होंने सरगुजिहा भाषा शैली में –
जहा कर बरखा,
पीपर कर पताई,
झलक सरगुजिहा,
लाली लकरा, नोनी कर दाई, सरगुजिहा हनुमान चालीसा, इनकी चर्चित काव्य संग्रह है। इसके अलावा “”तै कहां कर मइनसे””, आगामी रचना होगा। तारीफ इस बात का जायसवाल जी की रचना सहज सरल भाषा में लिपिबद्ध होने के साथ वात्सल्य करूण विभत्स रौद्र श्रृंगार हास्य जैसे अन्य सभी रसों में लिखी गई है। श्री जायसवाल सभी रसों में कविता लिखते हैं। इनके लिखे काव्य रचनाओं के लिए इन्हें हिंदी सलाहकार समिति केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अखिल भारतीय अक्षर सम्मान से सम्मानित किया गया है। जो समस्त सरगुजा जिला के लिए गौरव की बात है।