लखनपुर+(सरगुजा) : देश के यशस्वी महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी एवं अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन माननीय सिंचाई मंत्री स्वर्गीय रामचंद्र सिंह देव ने क्षेत्र के किसानों की हित को ध्यान में रखते हुए जिला सरगुजा के मध्यम सिंचाई परियोजना कुंवरपुर जलाशय के बुनियाद की नींव तकरीबन 49-50 साल पहले रखे थे। आज वही कुंवरपुर जलाशय विभागीय अधिकारी कर्मचारीयों के उपेक्षाओं का दंश झेल रहा है। दरअसल साल 1970-80 के दशक का वह एक दौर था जब कुंवरपुर बांध से समबध मुख्य नहर का पक्कीकरण नहीं हुआ था तब बांध का पानी नहर के जरिए अंतिम छोर ग्राम कन्दरई विश्रामपुर तक पहुंचता था। आज़ एक दौर है जब नहर का पक्कीकरण हो जाने के बाद भी किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
दूर तलक नहर में बेतरतीब झाड़ झखाडो ने अपना डेरा जमा रखा है। सुधारीकरण एवं साफ-सफाई के नाम पर विभाग को राशि आबंटित तो होती है पर धरातल में कराये गये कार्य का कही वजूद नजर नही आता।भौगोलिक दृष्टि कोण से देखा जाए तो सिंचाई का अधिकांश भूभाग बांध पानी के अभाव में सिंचाई से वचित प्यासे रह जाते है। नहर का लाईनिग पक्कीकरण किया जाना शासकीय राशि का दुरूपयोग किया जाना साबित हो रहा है। क्षेत्र के कृषकों का बताना है कुंवरपुर बांध का पानी फकत ग्राम लटोरी ,कोरजा तराज़ू ,जमगला क्षेत्र तक ही पहुंच पाता है। आगे ग्राम बगदर्री बिनकरा गुमगराकला कदरई सहित कुंवरपुर बांध मुख्य नहर से जुड़कर सिंचित होने वाले जमीन को बांध का पानी नहीं मिल पाता जिससे खेत खरीफ़ रबी सीजन में प्यासे रह जाते हैं । क्षेत्र के किसानों को होने वाले वार्षिक आय से महरूम रह जाना पड़ता है। कुंवरपुर जलाशय खरीफ़ फसल में सिंचाई के लिए निर्माण कराया गया है।
लेकिन किसानों का दुर्भाग्य है कि कभी उनके खेतों में लगे फसलों को मौसम के बेरूखी और बांध से पानी नहीं मिलने कारण सुख जाते हैं। सूरतेहाल ऐसा है कि सिंचाई विभाग को इस बात का सरोकार नहीं है कि किसानों के खेतो तक नहर का पानी पहुंच रहा या नहीं। नहर मेड़ों में कहा कहां मरम्मत कार्य कराया जाना है। साफ-सफाई की जरूरत है या नहीं कोई मतलब नहीं रह गया है। लिहाजा एरिया के किसानों का कहना है कि यदि नहर से हम किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है तो नहर मेड को सड़क में तब्दील कर दिया जाये ताकि हम ग्रामीणों के लिए आवागमन की सुविधा बहाल हो सके। और बांध से पानी मिलने का हमारा भ्रम टुटे । देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती गांधी ने क्षेत्र के किसानों के उत्थान समृद्धि को लेकर जो सपने देखे थे शायद उनके स्वप्नों का यही प्रतिफल है।