बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक ने नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. आरबीआई ने यूनिवर्सल बैंकों के साथ स्मॉल फाइनेंस बैंकों के लाइसेंस के आवेदनों पर विचार करने के लिए स्थायी बाहरी सलाहकार समिति (Standing External Advisory Committee) का पुनर्गठन किया है. पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्ष भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एम.के. जैन होंगे.
लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों के अनुसार, यूनिवर्सवल और स्मॉल फाइनेंस बैंकों के लाइसेंसों के लिए आवेदनों की प्रारंभिक जांच आरबीआई द्वारा की जाती है ताकि आवेदकों की प्रथम दृष्टया पात्रता सुनिश्चित की जा सके. इसके बाद बैंकिंग, वित्तीय क्षेत्र में अनुभव रखने वाले व्यक्तियों से बनी एसईएसी आवेदनों का मूल्यांकन करती है.
समिति के अन्य सदस्यों में रेवती अय्यर (निदेशक, केंद्रीय बोर्ड, आरबीआई) पार्वती वी सुंदरम (पूर्व कार्यकारी निदेशक, आरबीआई), हेमंत जी कॉन्ट्रैक्टर (पूर्व प्रबंध निदेशक, एसबीआई और पूर्व चेयरमैन पीएफआरडीए), और एन एस कन्नन (पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी) शामिल हैं. इस कमिटी का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा.
RBI ने कमिटी के गठन किए जाने पर कहा, “समिति को सचिवीय सहायता RBI के विनियमन विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी. इससे पहले आरबीआई ने पहली समिति मार्च 2021 में पूर्व डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ की अध्यक्षता में बनाई थी और इसका कार्यकाल तीन वर्षों के लिए था.
मौजदा समय में, अन्नपूर्णा फाइनेंस ( Annapurna Finance) और एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक (AU Small Finance Bank) का यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन और फिनो पेमेंट्स बैंक (Fino Payments Bank) और वीएफएस कैपिटल (VFS Capital) का स्मॉल फाइनेंस बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन रेगुलेटर के पास विचार के लिए लंबित है. समिति उन स्मॉल फाइनेंस बैंकों के आवेदनों की जांच नहीं कर सकती है जिन्होंने यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन किया है या करेंगे, क्योंकि SFB लाइसेंस देते समय उनके उपयुक्त और उचित मानदंडों की पहले ही जांच कर ली गई थी.