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New Rules: आपके म्यूचुअल फंड्स से जुड़े नए नियमों का एलान- जानिए सेबी कब से कर रही लागू

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शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी (SEBI-Securities and Exchange Board of India) ने सोमवार यानी 20 जनवरी 2025 को म्यूचुअल फंड की चुनिंदा स्कीम्स की एनएवी के कट ऑफ टाइम को बदलने का प्रस्ताव दिया है.  आइए आपको विस्तार से बताते है….

Index Fund Corner

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Scheme Name 1-Year Return Invest Now Fund Category Expense Ratio
Axis Nifty 50 Index Fund +32.80% Invest Now Equity: Large Cap 0.12%
Axis Nifty 100 Index Fund +38.59% Invest Now Equity: Large Cap 0.21%
Axis Nifty Next 50 Index Fund +71.83% Invest Now Equity: Large Cap 0.25%
Axis Nifty 500 Index Fund Invest Now Equity: Flexi Cap 0.10%
Axis Nifty Midcap 50 Index Fund +46.03% Invest Now Equity: Mid Cap 0.28%

सबसे पहले आपको स्कीम के बारे में बताते है. हम बात कर रहे हैं ओवरनाइट म्यूचुअल फंड स्कीम की.  (Overnight Mutual Fund Scheme) यह एक डेट म्यूचुअल फंड योजना है. जो मुख्य रूप से उन सिक्योरिटीज़ (Securities) में निवेश करती है.

जिनकी मैच्योरिटी अवधि सिर्फ 1 दिन की होती है. ये फंड बेहद कम रिस्क और हाई लिक्विडिटी के साथ आते हैं, जिससे यह शॉर्ट-टर्म के लिए एक अच्छा ऑप्शन माना जाता है.

भारत में लोकप्रिय ओवरनाइट फंड्स:
SBI Overnight Fund
HDFC Overnight Fund
ICICI Prudential Overnight Fund

Axis Overnight Fund
Kotak Overnight Fundअब क्या है सेबी का प्रस्ताव- सेबी का कहना है कि ओवरनाइट योजनाओं से जुड़ी यूनिट खरीदने और बेचने के लिए एनएवी के कट ऑफ टाइम को 3 बजे से बढ़ाकर 7 बजे करने का प्रस्ताव दिया है. अगर आसान शब्दों में कहें तो म्यूचुअल फंड्स कंपनियों के पास यूनिट बेचने और खरीदने का फैसला लेने के लिए ज्यादा समय मिलेगा. अभी तक ये समय 3 बजे तक का है. अब इसे बढ़ाकर 7 बजे करने की तैयारी है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस फैसले फंड्स सही फैसला ले पाएंगे. लिहाजा निवेशकों के लिए इन स्कीम्स में ज्यादा रिटर्न की संभावना बढ़ जाएंगी.

प्रस्तावित बदलाव, यदि लागू होता है, तो स्टॉक ब्रोकर्स (एसबी) या क्लियरिंग सदस्य (सीएम) को म्यूचुअल फंड ओवरनाइट स्कीम्स (एमएफओएस) की यूनिट को अन-प्लेज करने और म्यूचुअल फंड को फैसला लेने के लिए बाजार बंद होने के बाद कई घंट का समय मिलेगा.

एमएफओएस में निवेश स्टॉक ब्रोकर्स या क्लियरिंग सदस्यों के लिए क्लाइंट फंड को निवेश करने के लिए उपलब्ध कराया गया एक नया रास्ता है.

इसके अलावा, ऐसी MFOS इकाइयों का डीमैट रूप में होना आवश्यक है, तथा उन्हें हर समय क्लियरिंग कॉरपोरेशन के पास गिरवी रखना आवश्यक है.

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