
अगर मेहनत ईमानदारी से की जाए तो पथरीली भूमि से भी सोना उगाया जा सकता है, यह साबित किया है जालना जिले के भोकरदन तालुका के खंडाला गांव के एक किसान ने. इस किसान का नाम विलास शेषराव सोनवणे है, जिन्होंने 16 एकड़ जमीन पर आलू की खेती की थी. इस खेती से उन्हें प्रति एकड़ 100 क्विंटल उत्पादन मिला और इन आलुओं को 15 से 16 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा गया. 16 एकड़ खेती से उन्हें 28 लाख की कमाई की उम्मीद है और अब तक उन्होंने 20 लाख के आलू बेच भी दिए हैं. आइए जानते हैं कैसे इस प्रयोगशील किसान ने आलू की खेती की है…
16 एकड़ पर कुल 160 क्विंटल बीज
बता दें कि जालना जिले के भोकरदन तालुका के खंडाला गांव के निवासी विलास सोनवणे जिला परिषद स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करते हैं. इसके साथ ही वे खेती में भी विभिन्न प्रयोग करते रहते हैं. वे बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती करते हैं. मिर्च की खेती के लिए वे मध्य प्रदेश से मजदूर लाते हैं. इन्हीं मजदूरों के मुखिया ने उन्हें आलू की खेती का सुझाव दिया. तुरंत ही उन्होंने पुणे जिले के मंचर से 3000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से पुखराज किस्म के आलू के बीज खरीदे. 16 एकड़ के लिए कुल 160 क्विंटल बीज लगाए गए. ट्रैक्टर से बीज की बुवाई की गई.
आलू की फसल पर शुरुआती और अंतिम चरण में आने वाले करपा रोग का सही प्रबंधन किया गया. खेत में बेसल डोज कीटनाशकों का सही प्रबंधन और वृद्धि के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी ड्रिप सिस्टम से प्रबंधन किया गया. केवल 70 दिनों में यह फसल पक गई. 25 से 30 महिला मजदूरों की मदद से आलू की कटाई शुरू की गई. कटाई के लिए विशेष ट्रैक्टर भी मंगवाया गया. रोजाना 80 से 90 क्विंटल आलू संभाजीनगर, जलगांव, भोकरदन जैसे विभिन्न बाजारों में 15 से 16 रुपये प्रति किलो की दर से बेचे जा रहे हैं. अब तक उन्हें इस खेती से 20 लाख रुपये की कमाई हो चुकी है और 7 से 8 लाख रुपये की और कमाई की उम्मीद है.
विलास शेषराव सोनवणे ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि वे खेतों में नए-नए प्रयोग करें. पारंपरिक फसलों को छोड़कर नई फसलें उगाएं. कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों का चयन करें और आधुनिक खेती के माध्यम से शानदार कमाई करें.