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बांग्लादेश से रची गई नागपुर दंगे की साजिश? साइबर सेल को मिले ये अहम सबूत

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महाराष्ट्र के नागपुर में सोमवार को भड़की हिंसा के पहले और बाद में सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने वालों पर साइबर सेल की टीम कारवाई कर रही है. कई ऐसे अकाउंट और उनका इस्तेमाल करने वालों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कारवाई भी हो रही है.

नागपुर पुलिस ने अब तक ने 10 एफआईआर दर्ज की है. ताजा चार मामले सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करनेऔर लोगों को भड़काने के मामलों में दर्ज की गई है.

नागपुर पुलिस की साइबर सेल ने बांग्लादेश से संचालित एक फेसबुक अकाउंट की भी पहचान की है, जिसने नागपुर में बड़े पैमाने पर दंगे भड़काने की धमकी दी थी. यह पोस्ट एक बांग्लादेशी यूजर द्वारा किया गया था. जिसमें उसने लिखा था कि, ‘सोमवार के दंगे तो सिर्फ एक छोटी घटना थी भविष्य में और बड़े दंगे होंगे.’ वहीं जांच के बाद पता चला कि उक्त अकाउंट यूजर बांग्लादेश का निवासी है और उसने यह संदेश बांग्लादेश से पोस्ट किया था.

फेसबुक के जरिए फैलाई जा रही अफवाह
साइबर सेल ने फेसबुक से संपर्क कर उस अकाउंट को ब्लॉक करने का अनुरोध किया है. जानकारी के अनुसार, सोशल मीडिया का उपयोग न केवल नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है बल्कि इसके जरिये अफवाहें भी फैलाई जा रही है. पिछले दो दिनों में कई पोस्ट्स में दावा किया गया कि दंगों में घायल हुए दो लोगों की अस्पताल में मौत हो गई है. हालांकि ये जानकारी पूरी तरह से गलत है.

साइबर सेल ने अब तक 97 ऐसे पोस्ट की पहचान की है जो झूठी जानकारी फैला रहे थे. साइबर सेल ने जनता से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी असत्यापित जानकारी पर विश्वास न करें और अफवाहों को फैलाने से बचें. नागपुर शहर पुलिस ने दंगों में शामिल लोगों को पकड़ने और उनकी पहचान के लिए 18 विशेष जांच टीमें (एसआईटी) बनाई हैं. वहीं अब तक पुलिस ने 200 लोगों की पहचान कर ली है और अन्य 1,000 संदिग्धों की पहचान की जा रही है.

हिंसा मामले में अब तक 90 लोग गिरफ्तार
ये संदिग्ध दंगों के दौरान सीसीटीवी फुटेज में कैद हुए थे. पुलिस की विशेष टीमें इन फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, हिंसा मामले में अब तक 90 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं हिंसा के बाद दो दिनों से प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लागू है, जिसे आज गुरुवार के दिन सुरक्षा समीक्षा करने के बाद हटाया जा सकता है.

जानकारी के अनुसार, औरंगजेब के पुतले पर लगे हरे चादर पर क्या लिखा है, उसे समझने के लिए मौलाना और एक्सपर्ट की मदद ली गई. चादर पर कोई धार्मिक शब्द, कथन नहीं था. इसी तरह की मिलती हुई चादर को एक्सपर्ट और धर्म प्रमुख को दिखाया गया.

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