
मालेगांव बम विस्फोट मामले की सुनवाई में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे।औरंगजेब के मकबरे और दिशा सालियान की आत्महत्या को लेकर महाराष्ट्र में पहले से ही माहौल गर्म है।
इसी बीच यह नया मामला सामने आया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मालेगांव बम विस्फोट मामले की विशेष एनआईए कोर्ट में अंतिम सुनवाई चल रही है। इस मामले में याचिका की सुनवाई के दौरान संदिग्ध सुधाकर द्विवेदी के वकील रंजीत सांगले ने दलील देते हुए उपरोक्त दावा किया। उन्होंने कहा, परमबीर सिंह ने एटीएस के तत्कालीन अधिकारी महबूब मुजावर को बुलाया था। उसके बाद उन्होंने उन्हें नागपुर जाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सरसंघचालक मोहन भागवत को उठाने और मुंबई लाने का आदेश दिया। लेकिन चूंकि ये आदेश मौखिक थे, इसलिए उन्होंने उनका पालन नहीं किया। नतीजतन, मुजावर को सोलापुर में एक झूठे मामले में फंसाया गया। मुजावर ने सोलापुर कोर्ट में दिए अपने बयान में यह जानकारी दी है। वकील सांगले ने अपनी दलील में यह भी दावा किया कि मालेगांव बम विस्फोट की जांच झूठी थी और इसका मकसद हिंदू आतंकवाद की झूठी कहानी फैलाना था।
पूर्व एटीएस अधिकारी मुजावर ने पहले ही मीडिया को बताया था कि संदीप डांगे और रामचंद्र कलसांगरा की एटीएस हिरासत में मौत हो गई थी। लेकिन विशेष एनआईए अदालत में एटीएस द्वारा दायर चार्जशीट में उन दोनों को जिंदा दिखाया गया है। वकील सांगले ने कहा कि एटीएस अब उन्हें ढूंढ रही है। इस खुलासे से मालेगांव बम विस्फोट की जांच में परमबीर सिंह की भूमिका सामने आई है।
इस बीच, 29 सितंबर 2008 को मालेगांव की एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बम लगाकर विस्फोट किया गया था। इस विस्फोट में 6 लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हुए थे। अब इस मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं और राजनीतिक गलियारों में नए विवाद को जन्म देने की संभावना है।