Connect with us

आस्था

गुप्त नवरात्रि पर मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इस तरह करें पूजा…

Published

on

SHARE THIS

हिंदू धर्म में मां दुर्गा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है और नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित पर्व है जो भारत में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. एक साल में 4 बार नवरात्रि का पर्व आता है जिनमे 2 प्रकट नवरात्रि और 2 गुप्त नवरात्रि होती हैं. चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सभी जानते हैं ये काफी लोकप्रिय पर्व है जब मां दुर्गा की 9 दिन धूमधाम के साथ पूजा की जाती है. माघ और आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. गुप्त नवरात्रि पर मां दुर्गा की गुप्त रूप से पूजा करने की परंपरा है.

बन रहे हैं इस बार दुर्लभ संयोग

माघ माह की गुप्त नवरात्रि आज 10 फरवरी से शुरू हो रहीं है और 18 फरवरी को गुप्त नवरात्रि का समापन होगा. इस गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों में कई प्रकार के दुर्लभ संयोग बन रहे हैं इस कारण इस माघ माह की ये नवरात्रि बहुत खास मानी जा रही है. इन 9 दिन मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं. 10 फरवरी से 18 फरवरी तक गुप्त नवरात्रि के इन 9 दिनों में छह रवि योग, दो सर्वार्थ सिद्धि, त्रिपुष्कर, सिद्धि, साध्य, शुभ, शुक्ल, इंद्र, अमृत सिद्धि और शिव योग बन रहे हैं.

मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें इस तरह से पूजा

गुप्त नवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया और घर की साफ सफाई करने के बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और कलश स्थापना करें. कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं.

मां को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं . रोली,चावल से तिलक करें और लाल रंग के पुष्प मां को अर्पित करें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें इसके बाद दुर्गा चालीसा का भी पाठ करें, आप चाहें तो मां दुर्गा के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं. पूजा का समापन आरती के साथ करें और मां को भोग में खीर, बताशे,मखाने और लौंग का भोग लगाएं.

पूजा में ध्यान रखने योग्य कुछ खास बातें

मान्यता के अनुसार अगर आपने कलश स्थापना की है तो सुबह और शाम दोनो ही समय दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करें. गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर हल्दी और रोली से स्वास्तिक बनाएं और द्वार पर आम के पत्तो की तोरण लगाएं. ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. नवरात्रि में जौ उगाना बहुत शुभ माना जाता है इसलिए एक मिट्टी के पात्र में जौ जरूर बोएं. गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों तक सात्विक भोजन ही खाएं और दिन में न सोएं.

SHARE THIS

आस्था

हरतालिका तीज व्रत का पारण कब किया जाएगा? जानें टाइमिंग और व्रत खोलने का सही नियम

Published

on

SHARE THIS

हरतालिका तीज के दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं। तीज का यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। कहते हैं कि जो भी विवाहित महिलाएं हरतालिका का व्रत रखती हैं उन्हें अखंड सौभाग्य के साथ सुखी और खुशहाल दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है। हरतालिका तीज का व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। मान्यता है कि तीज का व्रत करने से अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्योदय से लेकर रात को प्रदोष काल में पूजा करने का विधान है। तो चलिए जानते हैं कि हरतालिका तीज व्रत का पारण कब क्या किया जाएगा।

हरतालिका तीज 2024 पारण का समय और नियम

हरतालिका तीज व्रत का पारण दूसरे दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। व्रती महिलाएं 7 सितंबर 2024 को सूर्योदय के बाद यानि सुबह 6 बजकर 14 मिनट के बाद तीज का व्रत खोल सकती हैं। हरतालिका तीज व्रत का पारण करते समय इन बातों का भी जरूर ध्यान रखें। सूर्योदय से पहले स्नान-आदि कर साफ कपड़े पहन लें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद प्रसाद अर्पित करें। अब जल पिएं और प्रसाद को ग्रहण को ग्रहण कर तीज का व्रत खोलें। ध्यान रहें कि हरतालिका तीज का व्रत लहसुन-प्याज और नमक वाले खाने से न खोलें।

हरतालिका तीज व्रत 2024 पूजा शुभ मुहूर्त 

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ- 5 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 6 सितंबर 2024 को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर

प्रातःकाल हरतालिका पूजा शुभ मुहूर्त- 6 सितंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 2 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक

हरतालिका तीज प्रदोश काल मुहूर्त- 6 सितंबर को शाम 6 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 59 मिनट तक

SHARE THIS
Continue Reading

आस्था

इन दो एकादशी व्रत को रखने से मिट जाएंगे सभी पाप, पितृ होंगे प्रसन्न..

Published

on

SHARE THIS

एकादशी व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. एकादशी का व्रत विशेष रूप से व्रत, उपवास और पूजा के लिए जाना जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है और इसे बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है. मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत का सही नियम से पालन करने पर सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत का पालन करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. एकादशी का व्रत रखने वालों के लिए सितंबर का महीना धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत खास रहना वाला है, क्योंकि इस माह दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत पड़ रहे हैं. आइए जानते हैं.

सितंबर माह में पड़ेगी ये 2 बड़ी एकादशी

परिवर्तनी एकादशी

परिवर्तिनी एकादशी को जलझूलनी एकादशी भी कहते हैं. इस एकादशी को बहुत ही पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान और पूजन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष तरीके से की जाती है. परिवर्तिनी एकादशी व्रत शनिवार 14 सितंबर 2024 को रखा जाएगा. वहीं अगले दिन यानी 15 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा.

इंदिरा एकादशी

इंदिरा एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली एक प्रमुख एकादशी है. यह व्रत पितरों की शांति और उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए समर्पित होता है. इंदिरा एकादशी का आयोजन भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होता है, जो आमतौर पर सितंबर के महीने में पड़ती है. इंदिरा एकादशी का व्रत 28 सितंबर 2024 को रखा जाएगा. और व्रत पारण फिर अगले दिन 29 सितंबर को किया जाएगा.

एकादशी व्रत का महत्व

एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जो हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को मनाया जाता है. ‘एकादशी’ का अर्थ है ‘ग्यारह’ और यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से पापों की मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. विशेष रूप से, एकादशी व्रत के कई प्रकार होते हैं जैसे मोहिनी एकादशी, निर्जला एकादशी, योगिनी एकादशी, और कामिका एकादशी, जिनका अपना अलग-अलग महत्व और पूजा विधियां होती हैं. एकादशी व्रत चंद्रमा के चक्र के अनुसार हर माह दो बार आता है. हर महीने 2 एकादशी और पूरे साल में कुल 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं. व्रत के दिन भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और उपवास रखते हैं. उपवास के दौरान अधिकतर लोग अन्न-जल का सेवन नहीं करते. व्रत रखने वाले लोग दिन भर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं और भजन- कीर्तन में समय बिताते हैं. एकादशी व्रत का पालन करने से मानसिक शांति मिलती है. इस दिन दान और पुण्य कर्म करने से भी विशेष लाभ होता है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है.

SHARE THIS
Continue Reading

आस्था

कब शुरू होगा पितृ पक्ष? इस दौरान भूल से भी न करें ये कार्य वरना पितर होंगे नाराज

Published

on

SHARE THIS

उज्जैन: सनातन धर्म में पितृ पक्ष विशेष महत्व रखता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से प्रारंभ होता है. आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर खत्म हो जाता है. पितृ पक्ष में पितरों को याद कर सम्मान प्रदान किया जाता है. पितृपक्ष में लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिए भोजन और जल अर्पित करते हैं. ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं. उन्हें दान-दक्षिणा देकर पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं. इन दिनों बहुत से ऐसे कार्य है. जिन्हें करने से पितृ नाराज होते है. आइए उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानते है.

पितृ पक्ष में भूल से भी ना खरीदे यह सामान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में नया सामान नहीं खरीदना चाहिए. पितृ पक्ष में शादी, सगाई, मुंडन और उपनयन जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. वहीं, इस अवधि में नए वस्त्र भी नहीं खरीदना चाहिए. क्योंकि, पितृ पक्ष में कपड़ों का दान पूर्वजों के लिए होता है. इस दौरान अन्न और वस्त्रों का दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं.

पितृ पक्ष में श्राद्ध का महत्व
पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए सभी प्रकार के अनुष्ठान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे जीवन मे परेशानियों का अंत होता है.सुख-समृद्धि बढ़ती है. पितृ पक्ष मे हमारे पूर्वज स्वर्ग लोग से हमारे साथ समय बिताने आते है.

पितृ पक्ष की तिथिया
मंगलवार, 17 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
बुधवार, 18 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध
गुरुवार, 19 सितंबर- द्वितीया श्राद्ध
शुक्रवार, 20 सितंबर- तृतीया श्राद्ध
शनिवार, 21 सितंबर- चतुर्थी श्राद्ध
रविवार, 22 सितंबर- पंचमी श्राद्ध
सोमवार, 23 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध और सप्तमी श्राद्ध
मंगलवार, 24 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध
बुधवार, 25 सितंबर, नवमी श्राद्ध
गुरुवार, 26 सितंबर- दशमी श्राद्ध
शुक्रवार, 27 सितंबर- एकादशी श्राद्ध
शनिवार, 29 सितंबर- द्वादशी श्राद्ध
रविवार, 30 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध
सोमवार, 1 अक्टूबर- चतुर्दशी श्राद्ध
मंलगवार, 2 अक्टूबर- सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध

SHARE THIS
Continue Reading

खबरे अब तक

WEBSITE PROPRIETOR AND EDITOR DETAILS

Editor/ Director :- Rashid Jafri
Web News Portal: Amanpath News
Website : www.amanpath.in

Company : Amanpath News
Publication Place: Dainik amanpath m.g.k.k rod jaystbh chowk Raipur Chhattisgarh 492001
Email:- amanpathasar@gmail.com
Mob: +91 7587475741

Trending