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नर्क बनी 5000 लोगों की जिंदगी….’कैसे हो, कोई पूछने तक न आया…’ घर में कमर तक पानी, डूबते-डूबते बच रहे बच्चे

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पूर्णिया. बिहार के पूर्णिया जिले में हर साल बाढ़ लोगों के जीवन में तबाही लेकर आती है. विशेष रूप से कोसी और सीमांचल के इलाके बाढ़ से अधिक प्रभावित होते हैं. इस साल भी कोसी, महानंदा, परमान, कनकई, और सौर नदियों में उफान के कारण जिले के डगरवा प्रखंड के बेलगाछी पंचायत के गांडवास गांव में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. कई घर नदी के कटाव में विलीन हो गए हैं, और कई घरों में अभी भी घुटनों तक पानी भरा हुआ है. इसके चलते लोग अपने घर छोड़कर सड़कों पर दिन-रात भूखे-प्यासे रहने को मजबूर हैं.

डगरुआ में बाढ़ का प्रलय
पूर्णिया जिले के डगरुआ प्रखंड में बाढ़ की स्थिति भयावह है. कोसी, सौर, महानंदा और परमान नदियों का पानी तेजी से बढ़ रहा है और लोगों के घरों में घुसने को तैयार है. इन नदियों के तेज कटाव के कारण लोगों में भय और दहशत का माहौल है. बाढ़ के हालात का जायजा लेने लोकल 18 की टीम डगरुआ प्रखंड के बेलगच्छी पंचायत के गांडवास गांव पहुंची, जहां बाढ़ पीड़ितों ने अपनी समस्याएं साझा कीं.

हर साल बाढ़ का कहर
गांडवास गांव के वार्ड नंबर 10, 11, 12, 13 और 14 के लोग हर साल बाढ़ की तबाही का सामना करते हैं. वार्ड 13 के बाढ़ पीड़ित मोहम्मद मंसूर, मोहम्मद आलम, मोहम्मद जहांगीर और मोहम्मद हुसैन ने बताया कि बाढ़ के कारण उनके घरों में कमर तक पानी भरा हुआ है. लोगों ने ऊंचे स्थानों पर शरण ले रखी है, लेकिन वहां भी डर बना हुआ है क्योंकि पानी में सांप, बिच्छू और मेंढक जैसे जीव होते हैं. महिलाएं बताती हैं कि उनके छोटे बच्चे कई बार पानी में डूबते-डूबते बचे हैं.

हजारों की आबादी परेशान
गांव की लगभग 5000 की आबादी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है. लोगों ने बताया कि पिछले 5-3 दिनों से वे भूखे-प्यासे हैं और अब तक सरकार या जिला प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. सूखा राशन, कम्युनिटी किचन जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई गई हैं. बाढ़ के पानी से घर-आंगन में पानी भरने के कारण लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं.

सरकार और प्रशासन से मदद की गुहार
डगरुआ प्रखंड के गांडवास गांव के वार्ड 10, 11, 12, और 13 के स्थानीय निवासियों ने लोकल 18 को बताया कि उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. बाढ़ के कारण लोगों की मजदूरी छूट गई है और उन्हें खाने-पीने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही, ऊंचे स्थानों पर रहने की जगह भी नहीं मिल रही है. लोग बाढ़ के पानी के घटने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन तब तक उन्हें किसी प्रकार की सहायता की सख्त जरूरत है.