
किसान इस समय ग्रीष्मकालीन यानी जायद में बोई जाने वाली मूंग की बुवाई कर रहे हैं. मूंग की खेती दलहनी फसल के रूप में की जाती है. इसकी दाल को हरा चना भी कहा जाता है. ये भारत में एक प्रमुख दाल है, जो कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मूंग की खेती में खास बात है कि यह जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती है, जिससे अगली फसलों से बढ़िया उत्पादन मिलता है. लेकिन मूंग की खेती में अच्छा उत्पादन पाने के लिए कई बार सही मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश के अलावा पोषक तत्वों की भी जरूरत होती है. ऐसे में किसान मूंग की खेती में इन पांच पोषक तत्वों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
मूंग के लिए पांच पोषक तत्व
कैल्शियम- मूंग की खेती में कैल्शियम की जरूरत पौधे में कोशिकाओं की मजबूती के लिए होती है. कैल्शियम, प्रोटीन बनाने के लिए आवश्यक रूप से नाइट्रेट, नाइट्रोजन को परिवर्तित करने में मदद करने के साथ ही पौधे की विकास को गति देता है.
फास्फोरस- फास्फोरस जड़ों के विकास, फूलों के निर्माण और बीज उत्पादन के लिए एक अहम पोषक तत्व है, जो फसल को एक समान परिपक्व बनाता है. यह पौधों की वृद्धि और शाखाओं के लिए काफी आवश्यक होता है.
सल्फर- सल्फर अमिनो एसिड के गठन और प्रोटीन के उत्पादन में महत्वपूर्ण होता है. यह प्रकाश संश्लेषण को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. दलहनी फसलों में नाइट्रोजन को बरकरार रखने के लिए सल्फर बहुत जरूरी होता है.
बोरान- बोरान दलहनी फसलों में प्रभावी नाइट्रोजन और जड़ों में ग्रंथियों के निर्माण के लिए आवश्यक होता है. बोरान कैल्शियम की उपयोगिता बढ़ाने में भी मदद करता है. यह पौधों के बढ़ते हिस्सों में ऊर्जा, बीज निर्माण और वजन के साथ ही फसल की क्वालिटी के लिए आवश्यक होता है.
जिंक- जिंक पौधों में प्रोटीन को बरकरार रखने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ये दाने की मात्रा को बढ़ाने में प्रभावी होता है. अगर इसे फूल आने के दौरान डाला जाए तो बीजों की संख्या बढ़ाने में भी मदद करता है. पौधे की शुरुआती अवस्था में जड़ों का गठन, अधिक जड़ें, पौधों को अधिक पानी और अधिक पोषक तत्वों को बढ़ाने में कारगर होता है.
इस विधि से करें मूंग की खेती
मूंग की खेती के लिए भूमि की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है. किसान मूंग की खेती से पहले जमीन को दो से तीन बार जुताई करें. उसके बाद ढेलों को कुचलने और खरपतवारों को नष्ट करने के लिए हल्की जुताई करें. मूंग दाल के बीज बोने की विधि में मौसम का भी ध्यान रखना चाहिए. जायद की बुवाई के लिए पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी और पंक्ति की दूरी 30 सेमी रखने की सलाह दी जाती है. वहीं, ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल का होता है.