
एमसीबी : मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत संचालित नवभारत साक्षरता कार्यक्रम “उल्लास” के अंतर्गत साक्षरता महापरीक्षा का भव्य आयोजन किया गया। यह परीक्षा जिलेभर में शिक्षा का नया सवेरा लेकर आई, जिसका उद्देश्य 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के अशिक्षित व्यक्तियों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना है। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी डी. राहुल वेंकट के मार्गदर्शन में और जिला शिक्षा अधिकारी अजय मिश्रा के निर्देशन में इस परीक्षा का सुचारू रूप से संचालन किया गया। विकासखंड भरतपुर में इस्माइल खान, मनेन्द्रगढ़ में सुरेंद्र जायसवाल और खड़गवां में बलविंदर सिंह की देखरेख में परीक्षा का सफल आयोजन हुआ। मनेन्द्रगढ़ में यह परीक्षा प्राथमिक शाला खूंटापारा और प्राथमिक शाला डोमनापारा में संपन्न हुई, जबकि खड़गवां में भी इसे सुव्यवस्थित तरीके से आयोजित किया गया। भरतपुर के आदर्श परीक्षा केंद्र प्राथमिक शाला बरहोरी में विशेष आयोजन के तहत शिक्षार्थियों का पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ स्वागत किया गया। उन्हें लोरी, चंदन और पुष्पगुच्छ भेंट कर शिक्षा की ओर बढ़ने के इस ऐतिहासिक कदम के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस अवसर पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी भरतपुर मो. इस्माइल खान, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी सुदर्शन पैकरा, संकुल समन्वयक रमेश पटेल, केंद्राध्यक्ष मनोज सिंह, पर्यवेक्षक इंद्रजीत सिंह और साक्षरता प्रभारी राजकुमार नामदेव की गरिमामयी उपस्थिति रही।
इस महा परीक्षा महापरीक्षा में जिलेभर से 6,225 परीक्षार्थियों ने भाग लिया, जिनकी लगन और मेहनत ने इस अभियान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। परीक्षा में वे अभ्यर्थी शामिल हुए जिन्होंने उल्लास साक्षरता केंद्र में 200 घंटे की पढ़ाई पूरी कर ली थी या उल्लास प्रवेशिका के सात अध्यायों को सफलतापूर्वक पूरा किया था। इस परीक्षा के सफल प्रतिभागियों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान (NIOS) और राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण (NILP) द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा, जिससे उनके लिए शिक्षा और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। “उल्लास” साक्षरता महापरीक्षा केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों के सपनों को साकार करने का एक माध्यम बनी है, जिन्होंने शिक्षा पाने की चाह तो रखी थी, लेकिन परिस्थितियों के कारण पीछे रह गए थे। यह पहल न केवल उनके जीवन में बदलाव लाएगी बल्कि जिले को श्जन-जन साक्षर बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगी। यह परीक्षा शिक्षा के प्रति जागरूकता और समर्पण की एक मिसाल बनकर आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।