
25 मार्च 2025:- 2024 में जारी की गई ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2015 से 2023 के बीच टीबी के मामले 17.7% फीसदी तक कम हुए हैं. टीबी के केस भले ही कम हो रहे हैं, लेकिन यह बीमारी पूरी तरह खत्म नहीं हो पाई है. अभी भी टीबी के मामले आए दिन दर्ज किए जाते हैं. इस बीमारी में लक्षणों की पहचान न हो पाना एक बड़ी समस्या है. टीबी का सबसे बड़ा लक्षण लगातार खांसी आना है, लेकिन फिर भी लोग इसको नजरअंदाज करते हैं. लगातार खांसी आना फेफड़ों की टीबी का एक लक्षण है.
लगातार आ रही खांसी को न करें नजरअंदाज
अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ प्रीतपाल कौर बताती हैं कि बार-बार खांसी होना टीबी का एक बड़ा लक्षण है, लेकिन लोग इसको नजरअंदाज कर देते हैं. अगर किसी को लगातार तीन हफ्ते से अधिक खांसी हो रखी है तो टीबी की जांच जरूर कराएं. डॉ कौर बताती हैं कि टीबी खांसने या छींकने से हवा के माध्यम से फैलता है. यह एक से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करती है. खांसी के साख बलगम या खून आना, वजन कम होना, रात में पसीना आना, थकान महसूस होना और भूख न लगना भी टीबी के लक्षण हैं. अगर ये परेशानी है तो जांच कराएं. जांच में अगर टीबी की पहचान होती है तो इसमें पैनिक होने वाली कोई बात नहीं है.
फ्री होता है इलाज
टीबी का इलाज होता है और सरकार की ओर से निःशुल्क इलाज की सुविधा भी दी जाती है. टीबी का इलाज आमतौर पर छह महीने या उससे अधिक समय तक चलने वाली एंटी-टीबी दवाओं से किया जाता है, जिसे डॉक्टर की सलाह के अनुसार पूरा करना अनिवार्य होता है. लेकिन जरूर यह होता है कि टीबी का कोर्स पूरा करें. अगर दवा बीच में छोड़ी तो ये बीमारी फिर से हो सकती है.