
अक्सर लोगों को सर्दी-खांसी की परेशानी रहती है. इसमें नाक जाम होने लगता है और छाती में जकड़न हो जाती है. इससे कभी-कभी सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में इस परेशानी से बचने के लिए अक्सर लोग नाक में डालने वाला नजल स्प्रे का सहारा लेते हैं. नजल स्प्रे के इस्तेमाल से जल्दी सांसों से संबंधित राहत मिल जाती है. नजल स्प्रे कई तरह के होते हैं. नाक में अगर कोई घाव हो जाए तो भी नजल स्प्रे है. नाक में म्यूकस ज्यादा हो जाए तो भी नजल स्प्रे है और नाक में पपड़ी जम जाए तो भी नजल स्प्रे है. इसलिए अमूमन लोग नजल स्प्रे का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अगर आप इसकी आदत लगा लेंगे तो इसके भयंकर परिणाम सामने आ सकता है. इससे नाक से खून तक निकल सकता है.
नजल स्प्रे के ज्यादा इस्तेमाल से परेशानी
1. स्प्रे पर निर्भरता ज्यादा -इंडियन एक्सप्रेस की खबर में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई में ईएनटी सर्जन डॉ. शमा कोवाले कहती हैं कि जब कोई नजल स्प्रे का ज्यादा इस्तेमाल करता है तो धीरे-धीरे यह आदत में बदल जाती है. फिर रीबाउंड कंजेशन का कारण बन सकता है. मतलब अगर नाक में कोई परेशानी होती है तो शरीर इसे ठीक करने में असमर्थ होने लगता है. इसके लिए हर बार स्प्रे पर निर्भरता बढ़ जाती है.
2. ड्राइनेस और ब्लीडिंग-कोर्टिकोस्टेरॉयड और डिकंजेस्टेंट स्प्रे दोनों का अत्यधिक उपयोग नाक की परत को ड्राई कर देता है. इससे नाक में ड्राइनेस बढ़ जाती है. परिणामस्वरूप नाम में जन और कभी-कभी ब्लीडिंग होने लगता है.
3. लंब समय की परेशानी-अगर आप लंबे समय तक नजल स्प्रे का इस्तेमाल करेंगे तो इससे आपके शरीर में दीर्घकालिक परेशानी होगी. इससे महिलाओं को विशेष तौर से नुकसान होगा. कुछ मामलों में मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा हो सकता है. इसमें बोन डेंसिटी घट जाती है.
इन लोगों को ज्यादा खतरा
डॉ. शमा कोवाले कहती है कि नजल स्प्रे का इस्तेमाल खुद से नहीं करना चाहिए. खासकर गर्भवती महिलाओं को बिना डॉक्टरों की सलाह से नाक वाला स्प्रे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 6 साल से छोटे बच्चों को भी नजल स्प्रे नहीं देना चाहिए. जिस व्यक्ति को आंखों की बीमारी ग्लूकोमा है उसे भी नजल स्प्रे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर के मरीज भी नजल स्प्रे न इस्तेमाल करें.