खबरे छत्तीसगढ़
भाजपा सदस्यता अभियान की शुरुआत करते हुए सौरभ अग्रवाल ने सुनी ग्रामीणो की मांग
रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा:उदयपुर ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम पंचायत जजगा, जजगी में शुक्रवार को ग्रामीणों के बीच पहुंचे भाजपा नेता सौरभ अग्रवाल ने सदस्यता अभियान की शुरुआत करते हुए पंचायत वासियों तथा ग्रामीण भाजपा कार्यकर्ताओं के मांग शिकायत सुना। ग्रामीणों के आग्रह पर बस्ती के राम मंदिर में बैठक रखा गया।जहा भाजपा नेता सौरभ अग्रवाल के समक्ष ग्रामीणो ने गांव के कुछ जरूरी समस्यायों को रखा । मुख्य रूप से प्राथमिक विद्यालय और माध्यमिक विद्यालय के किचन सेड के छत टूट जाने कारण बरसात का पानी अंदर गिर रहा है जिसको लेकर ठीक कराने ग्राम वासियों ने बात रखी सौरभ अग्रवाल ने पंचायत सचिव को तत्काल अवगत कराते हुए किचन छत दुरूस्त कराने कहा।
वही जजगा बस्ती में लगे हाई मास्क लाइट के खराब होने की जानकारी लोगों ने दी जिसे सम्बंधित विभाग के आधिकारी को ठीक कराने के निर्देश दिया गया । कार्डधारी हितग्राहियों ने वर्तमान में संचालन हो रहे पीडीएस भवन में लिंक और सर्वर असुविधा के कारण राशन लेने में हो रही दिक्कत से अवगत कराया ।
साथ ही गांव में ही पीडीएस भवन का संचालन कराने की मांग रखी गई।
सबसे अहम बात ग्राम पंचायत जंगल से सटा हुआ है और हाथी विचरण क्षेत्र होने कारण कभी भी जंगली हाथी गांव में घुस जाते है एहतियातन सुरक्षा के दृष्टिगत हाथी अलर्ट सायरन लगाने मांग रखा गया।
जिसे भाजपा नेता सौरभ अग्रवाल ने तत्काल वन विभाग के अधिकारीयों के समक्ष बात रखते हुए अवगत कराया।
गांव में हाई स्कूल बनने शासकीय राशि आई हुई थी किंतु किसी कारणवश निर्माण कार्य पुरा नहीं हो पाया जिस पर ग्रामीणों का कहना है कि इसकी जांच कराके पुनः कार्यारंभ कराया जाये।
सौरभ अग्रवाल ने बाकायदा ऐप के जरिए से सभी लोगो को भाजपा की सदस्यता दिला कर सदस्यता अभियान की शुरुवात किया ।
तीजा त्योहार एव गणेश चतुर्थी की सभी ग्राम वासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। साथ ही मंदिर पूजा समिति को सहयोग राशि प्रदान किया। मंदिर बनाये जाने की समिति के मांग पर अंबिकापुर विधायक अग्रवाल के समक्ष बात रखने आश्वासन दिया गया। नेता अग्रवाल ने
मोदी सरकार की कल्याणकारी आवास योजना के तहत उन सभी हितग्राहियों को बधाई दिया जिनका आवास स्वीकृत हुआ है।
इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि, संजय यादव, कन्हाई राम बंजारा, जयनंदन दास, कमलेश्वर दास, कमल एवं ग्रामीण जन काफी संख्या में उपस्थित रहे।
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‘शायर- ऐ -शहर यादव विकास की अध्यक्षता में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन
रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा : हिन्दी हिन्दुस्तान की, भाषा बड़ी महान् – जन को जन से जोड़कर, करती जनकल्याण हिन्दी सप्ताह के तहत तुलसी साहित्य समिति की ओर से केशरवानी भवन अम्बिकापुर में शायर-ए-शहर, यादव विकास की अध्यक्षता में14 सितम्बर 2024 को सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्माशंकर सिंह, विशिष्ट अतिथि गीता मर्मज्ञ पं. रामनारायण शर्मा, कवयित्री पूर्णिमा पटेल, चंद्रभूषण मिश्र, रंजीत सारथी और मोहम्मद जुनैद रहे। गोष्ठी का श्रीगणेश मां भारती की पूजा-अर्चना, तुलसीकृत रामचरितमानस और बंशीधर लाल रचित सरगुजिहा रामायण के संक्षिप्त पाठ से हुआ। सरस्वती-वंदना की मनोरम प्रस्तुति कवयित्री व लोकगायिका पूर्णिमा पटेल ने दी।
पं. रामनारायण शर्मा ने कहा कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। इसका प्रचार-प्रसार करना हम सभी का दायित्व है। हम अपने सभी लेखन कार्य, पत्र, निमंत्रण-पत्र, हस्ताक्षर आदि देवनागरी लिपि में ही करें तो यही हिन्दी के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धा व सम्मान होगा। इतिहास गवाह है संविधानसभा ने 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया था। आज हिन्दी सम्पूर्ण विश्व में 65 करोड़ लोगों की पहली भाषा और 50 करोड़ लोगों की दूसरी एवं तीसरी भाषा है। यह विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है। हिन्दी के विकास में देश के विभिन्न बोलियों के अलावा संतों, भक्तों, कवि-साहित्यकारों, सिनेमा जगत् और हिन्दी प्रचार संस्थाओं का योगदान अहम रहा है। शिक्षाविद् ब्रह्माशंकर सिंह ने बताया कि कोई दो-तीन सौ साल पहले आगरा के आसपास कुछ मुस्लिम लोग उर्दू मिश्रित हिन्दी बोलते थे, जिससे खड़ी बोली कहा गया। यही कालांतर में हिन्दी भाषा का दर्जा प्राप्त किया। युगप्रवर्तक साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र को आधुनिक हिन्दी का जनक कहा जाता है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इसका परिमार्जन कर इसे देश में प्रतिष्ठित किया। सन् 1936 में मद्रास प्रेसीडेंसी के मुख्यमंत्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने सुगम हिन्दी को लागू किया परन्तु पेरियार के विरोध के कारण इसे वापस लेना पड़ा। यदि यह कानून लागू हुआ होता तो हिन्दी की स्थिति व छवि दक्षिण भारत में कुछ और ही होती और वहां इसका इतना ज़्यादा विरोध नहीं हुआ होता। हिन्दी को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की भाषा बनाए जाने की आज आवश्यकता है। आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर का कहना था कि हिन्दी सरल मातृभाषा है। इसमें जो सरसता और मधुरता है वह संस्कृत के अलावा किसी अन्य भाषा में नहीं है। हिन्दी के तत्सम, तद्भव और बोलियों की मिठास और अपनापन अद्वितीय है। कवि चंद्रभूषण मिश्र और वरिष्ठ व्याख्याता सच्चिदानंद पांडेय ने हिन्दी को अत्यंत प्राचीन और समृद्ध भाषा बताते हुए उसके ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख किया और कहा कि हिन्दी का आरंभ संवत् 1050 से माना जाता है। आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल और आधुनिककाल होते हुए इसके विकासक्रम को समझना जरूरी है। हिन्दी रस, छंद, अलंकार से सुशोभित और संवेदनशीलता से संपृक्त है। कविवर एस पी जायसवाल ने भी हिन्दी भाषा को विचारों के आदान-प्रदान का एक सशक्त माध्यम बताया और कहा कि हिन्दी पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधती है। नीट से लेकर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं हिन्दी भाषा में भी हो रही हैं जिनसे लाखों युवा रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने सरगुजिहा में भी अपने हिन्दी प्रेम को उजागर किया- हिन्दी दिवस के इस मौका में हिन्दी में “गोठियाथन गा । हिन्दी लिखथन, हिन्दी पढ़थन, हिन्दी कर बात बताथन गा”।
काव्यगोष्ठी में कवयित्री आशा पांडेय ने अपने दोहे में हिन्दी के विश्वभाषा बनने की कामना की- हिन्दी के विस्तार में, लगे सभी हैं लोग। यही विश्वभाषा बने, रहे सुखद संयोग। वरिष्ठ गीतकार पूनम दुबे ‘वीणा’ ने हिन्दी को अपनी पहचान बताया- हिन्दी मेरी जान है, हिन्दी ही पहचान। कहती वीणा सर्वदा, मां को दो सम्मान। वरिष्ठ कवयित्री मंशा शुक्ला ने इसे लोरी के समान मीठी बताया- हिन्दी लोरी मात की, प्रेम-प्रणय का गीत। परिभाषा है हिन्द की, बजती शुभ संगीत। कवयित्री पूर्णिमा पटेल ने अपने काव्य में हिन्दी को देशवासियों की शान बताया- भारत मां के भाल पे चमके, भारतवासी की पहचान। अखंड देश की एक ही भाषा, हिन्दी है हम सबकी शान। वरिष्ठ कवयित्री गीता दुबे ने भी यही बात कही कि- हिन्दी-हिन्दुस्तान हमारी है पहचान। हम हिन्दी दिवस मनाते, हिन्दी हमारी शान! कविवर श्यामबिहारी पांडेय ने हिन्दी में ही बात करने का अनुरोध लोगों से किया- हिन्द देश के वासी हो तो, हिन्दी में ही बात करो। परभाषा से प्रेम करो पर, हिन्दी से मत घात करो! हिन्दी पर गर्व करने का आह्वान कवि जयंत खानवलकर ने बखूबी किया- हिन्दी का सम्मान करो, हिन्दी का सम्मान करो। हिन्दी अपने देश की भाषा, इस पर सब अभिमान करो! गीत-कवि कृष्णकांत पाठक ने हिन्दी को गंगा-यमुना की तरह पावन बताया- मज़ा कहां कहीं और मज़ा जो हिन्दी में। जीना-मरना यार है अब तो हिन्दी में। पावनता जो गंगा-सरयू-कालिंदी में! संस्था के अध्यक्ष दोहाकार व शायर मुकुंदलाल साहू ने अपने दोहे में हिन्दी को महान् जनकल्याणकारी भाषा बताया- हिन्दी हिन्दुस्तान की, भाषा बड़ी महान्। जन को जन से जोड़कर, करती जनकल्याण। भारत के दक्षिणी प्रांतों में हो रहे हिन्दी-विरोध को देखकर कवि अजय सागर का मन क्रंदन कर उठा। उन्होंने यहां तक कह दिया कि- कौन बचाएगा हिन्दी को, सागर पूछ रहा सबसे। आज वक़्त में कौन खड़ा जो, हिन्दी का रखवाला है!
इनके अलावा सरगुजिहा भाषाविद्, वरिष्ठ साहित्यकार व लोकसंस्कृति कर्मी रंजीत सारथी ने मधुर स्वर में भगवान श्रीगणेश की वंदना की- देवों के देव गजानन स्वामी, प्रथम पूज्य हो आप अंतर्यामी! वरिष्ठ कवि उमाकांत पांडेय की रचना- मैं आवारा हवा का झोंका तुम थे स्मित चंदनवन, वरिष्ठ गीतकार देवेन्द्रनाथ दुबे का गीत- मां मेरे मंदिर में बसो जिसमें तेरा जयगान रहे, कवि प्रकाश कश्यप की ग़ज़ल- बिखरा-बिखरा प्यार ज़रा देखो तो सही, आओ ढूंढें यार, ज़रा देखो तो सही, कवि चंद्रभूषण मिश्र ‘मृगांक’ की कविता- तेरी मधुर चपल-सी बातों में गंगा का उद्गम देखा था, सागर-सी सिक्त आखों में जादू-सा अपनापन देखा था और युवाकवि अम्बरीष कश्यप की ग़ज़ल- जो हक़ीरों से रखता रिश्ता है, आदमी की शक्ल में फ़रिश्ता है, नौकरी हो या घर ख़ुदा का हो, हर जगह आदमी ही पिसता है- को श्रोताओं की प्रचुर सराहना मिली। अंत में, शायर-ए-शहर यादव विकास की इस बेजोड़ कविता से कार्यक्रम का यादगार समापन हुआ- “”अंधेरे के साये में रौशनी को आने दो। मुश्किलों के साये में ज़िंदगी को आने दो, वक़्त जब बदलता है, रंग बदल जाता है। यह रात मुस्कुराएगी चांदनी को आने दो! कवि अजय श्रीवास्तव ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का ध्वन्यांकन आकाशवाणी अम्बिकापुर द्वारा किया गया।इस अवसर पर लीला यादव, अंजनी कुमार पांडेय, दुर्गाप्रसाद श्रीवास्तव, सुनील कुमार पांडेय, मनीलाल गुप्ता, मधुकर बेहरा, मनबोध पांडेय, गणेश सहित कई काव्यप्रेमी उपस्थित रहे।
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एक और श्री गणेश रिद्धि सिद्धि को दी गई विदाई
रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा : नगर लखनपुर के वार्ड नंबर 02 झिनपुरीपारा में स्थित प्राचीन दाऊ साहब देव स्थल में विराजित श्री गणेश एवं माता रिद्धि सिद्धि को श्रद्धालुओं द्वारा 17 सितम्बर दिन सोमवार को सहृदय विदा किया गया। शासन प्रशासन द्वारा डीजे साउण्ड सिस्टम पर पहरा लगा देने के बाद समिति के युवाओं ने पुराने वाद्ययंत्रो ढोल ताशे के स्वर लहरी में थिरकते हुए प्रतिमाओं को देवी सागर तालाब में देर शाम रात तक विसर्जित किया गया।
साथ ही विशेष हवन-यज्ञ के बाद नीजी घरों में रखे लम्बोदर महाराज के मूर्तियों का विसर्जन भी भक्ति भाव से किया गया। मूर्ति विसर्जन के पूर्व संध्या बीते रविवार को गणेशोत्सव पर नीज घरों में भजन कीर्तन का आयोजन भी हुआ। मानस मंडली के सदस्यों ने रामायण पाठ के साथ भक्ति भजन की प्रस्तुति दिये। गणेश विसर्जन पर “”गणपति बप्पा मोरया, आधा लड्डू चोरेया, अगले बरस तू जल्दी आ””” के शोर से नगर गुंजायमान रहा। झमाझम हो बारिश में भी महिला पुरुष युवा युवतियों में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के प्रति उत्साह देखा गया। पुरे नगर में भक्तिमय वातावरण बना रहा। डीजे साउण्ड सिस्टम के इस्तेमाल नहीं होने से युवा वर्ग में मायूसी छाई रही। विसर्जन के मौके पर खीर-पूड़ी लड्डू मिष्ठान प्रसाद का वितरण किया गया।
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खुशगवार माहौल में मनाया गया जश्ने- ईद- मिलादुन्नबी
रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा : स्थानीय मुस्लिम कौम के लोगों ने पैगम्बर हज़रत मुहम्मद साहब के जन्म दिन को ईद मिलादुन्नबी के शक्ल में 16 सितम्बर दिन सोमवार को पूरे अकीदत के साथ मनाया। इतना ही नहींनगर लखनपुर के अलावा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में जश्न-ए -ईद मिलादुन्नबी का त्योहार पूरे शिद्दत के साथ मनाई गई । जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर आसमान भी बरसता रहा। बरसते पानी में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने लखनपुर जामा मस्जिद से तिरंगा और इस्लामिक झंडे के साथ विशाल जुलूस निकाला। जुलूस में आशिके रसुल शामिल हुये।यह जुलुस नगर के पैलेस रोड ,पठानपुरा ,पुलिस थाना गुदरी बाजार होते हुए बस स्टैंड पहुचा जहां सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने पुष्प वर्षा कर जुलूस का इस्तकबाल किया एक दुसरे के गले मिलकर जश्ने ईद मिलादुन्नबी पर्व का मुबारकबाद दिये।
सरकार की आमद मरहबा पत्ती पत्ती फूल फूल या रसूल या रसूल नारे के साथ यह जुलुस जामा मस्जिद होते ईदगाह के पास पहुंचा सलातो सलाम के बाद जुलूस मुकम्मल हुई।ईदगाह में मिलाद शरीफ का प्रोग्राम रखा गया था जहां जामा मस्जिद के पेश इमाम मुफ्ती मोहम्मद खालीदुल कादरी अलगौसी, मौलाना हसन रजा, समीउल्लाह, हाफिज शमसिर आलम ने अपने तकरीर में पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा- हज़रत मुहम्मद साहब सारी दुनिया के लिए रहमत बनकर आज ही के दिन ज़हान में तसरीफ लाये थे। उनकी आमद के रोज को ही दुनिया भर के मुसलमान ईद मिलादुन्नबी के शक्ल में मनाते हैं।
12 वीं रवीउलअव्वल जश्ने इद मिलादुन्नबी के मौके पर लखनपुर जामा मस्जिद को फूलों गुब्बारे और रंग-बिरंगे बीजली झालर के नूर से रौशन किया गया। इतना ही नहीं समुदाय के लोगों ने अपने घर मुहल्ले के गलियारों को झंडी पतंगी से सजाकर खुशी का इजहार किया। अंजुमन गौसिया कमेटी ने पैगम्बर हज़रत मुहम्मद साहब के पैगाम को आमो-खास तक पहुंचाने के लिए जगह जगह बैनर पोस्टर लगाया । जिससे सबको एक नेक इल्म हासिल हो सके। उत्साह के मनाया जाने वाला इस उत्सव में जरूरतमंदों को भोजन पैसा कपड़े तकसीम किये जाने की भी रिवायत रही है। जश्ने ईद मिलादुन्नबी को पैगम्बर हज़रत मुहम्मद साहब के जीवन शिक्षाओं उनके विरासत का सम्मान करने का दिन माना जाता है। जश्ने ईद मिलादुन्नबी खुश गवार माहौल में मनाया गया।
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