15 जनवरी 2025:- दक्षिण भारत में कन्याकुमारी से उत्तर भारत में श्रीनगर तक अब सीधा ट्रेन चलेगी. जम्मू से श्रीनगर तक रेल लाइन को कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) का अप्रूवल मिल गया है. श्रीनगर से कन्याकुमारी तक ट्रेन चलाने की अनुमति मिल गई है. उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक यूएसबीआरएल परियोजना को सीआरएस की अनुमति मिल गई है. रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी कश्मीर से कन्याकुमारी के लिए ट्रेन सेवा की शुरुआत 26 जनवरी को करेंगे. पीएम मोदी श्रीनगर से कटरा के लिए वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखा सकते हैं.
बता दें कि पिछले दिनों सीआरएस ने कटरा-रियासी खंड का दो दिवसीय निरीक्षण किया था, जिसके बाद अब सीआरएस ने मंजूरी दे दी गई है उत्तरी सर्कल के रेल सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) दिनेश चंद देशवाल ने CRS रिपोर्ट जारी किया है. अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन चलेगी.
सीआरएस ने निरीक्षण के बाद दी रिपोर्ट
रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार सीआरएस की ओर से सात और आठ जनवरी को रेल लाइन का निरीक्षण किया गया था. इस निरीक्षण के आधार पर रेल मंत्रालय और मुख्य रेल सुरक्षा आयुक्त सहित रेलवे अधिकारियों की ओर से रिपोर्ट दी गई. यह रिपोर्ट सात पन्नों की थी. इसमें यात्री रेलगाड़ियों और मालगाड़ी को चलाने की अनुमति दी गई. जम्मू कश्मीर में यूएसबीआरएल परियोजना के तहत रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है. यह कुल 272 किलोमीटर रेल लाइन है. इसमें 209 किलोमीटर पर काम कई चरणों में शुरू किया गया था. पहले चरण के तहत 118 किलोमीटर का काजीगुंड-बारामूला खंड अक्टूबर 2009 में शुरू हुआ था.
रेलवे के इतिहास में जुड़ेगा नया अध्याय
इसके बाद जून 2013 में 18 किलोमीटर का बनिहाल-काजीगुंड मार्ग, जुलाई 2014 में 25 किलोमीटर उधमपुर-कटरा मार्ग और पिछले साल फरवरी में 48.1 किलोमीटर लंबा बनिहाल-संगलदान खंड शुरू हुआ था. 46 किलोमीटर लंबे खंड संगलदान-रियासी के बीच का काम जून में कंप्लीट किया गया था, लेकिन रियासी और कटरा के बीच कुल 17 किलोमीटर का हिस्सा बच गया था और यह खंड पर काम दिसंबर 2024 में कंप्लीट हो गया. सीआरएस रिपोर्ट में बताया गया है कि मुख्य लाइन पर 85 किलोमीटर प्रतिघंटा और टर्नआउट (जब ट्रेन एक लाइन से दूसरी लाइन बदलती है) पर 15 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से रेलगाड़ियों के परिचालन की अनुमति दी है. रेलवे ने बताया कि मंजूरी के साथ ही विभिन्न शर्तों, दिशानिर्देशों के अनुपालन के लिए भी कहा गया है. कटरा से बनिहाल तक चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति में 180 डिग्री की चढ़ाई पर 110 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से परीक्षण के साथ रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है.